जजों के खाली पद नहीं भर पा रहे तो डॉक्टरों का क्या करें: सुप्रीम कोर्ट
सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार में 'उज्वल' से बच्चों की होने वाली मौतों की पृष्ठभूमि में कलाकारों के खाली पदों को भरे जाने संबंधी जनहित याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज किया।
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार में 'उज्वल' से बच्चों की होने वाली मौतों की पृष्ठभूमि में कलाकारों के खाली पदों को भरे जाने संबंधी जनहित याचिकाओं को शुक्रवार को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह पानी से रोशनी तक दूर है, किस-किस चीज की कमी पर दिशानिर्देश जारी करेगा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, "न्यायाधीशों, चिकित्सकों, मंत्रियों, राज्यसभा सदस्यों के अलावा पानी और सूर्य की रोशनी की भी कमी है, तो वह किस-किस चीज की कमी को पूरा करने के लिए निर्देश देंगे।"
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Supreme Court said 'What do you want?That we open it up & try to fill up posts of doctors? We are trying to fill up posts of judges and you can see where we have got with that.There's shortage of doctors,there's a shortage of judges, MPs, water, sunlight. What all do we look at?' https://t.co/vIEJSitabb
— ANI (@ANI) July 26, 2019
न्यायालय की असहाय टिप्पणियाँ उस वक्त आयी जब याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने दलील दी कि बिहार में 57 प्रतिशत वैज्ञानिकों की कमी है। वकील मनोहर प्रताप ने बिहार में चिकित्सकों और नर्सों के बड़े पैमाने पर रिक्त पदों पर भर्तियों के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाने का न्यायालय से अनुरोध किया। न्यायमूर्ति गोगोई ने श्री प्रताप को कहा, “बिहार में पत्रकारों की कमी है, फिर क्या किया जाना चाहिए? क्या हमें रिक्तियां भरनी शुरू कर देनी चाहिए? आप क्या सलाह देना चाहते हैं? " मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "हम न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हम ही जानते हैं कि हमें अभी भी बहुत कुछ मिला है।" हमवादियों के मामले में ऐसा नहीं कर सकता। ”
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न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को, हालांकि, इसके लिए आवासीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की छूट दे दी। शीर्ष अदालत ने बिहार में चमकीले पर अधिक पाने के लिए केंद्र और बिहार सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर संतोष व्यक्त करते हुए संबंधित समितियों का निपटारा भी कर दिया। (वार्ता)