इस बार हर आदमी के लिए खास होगा फलों का राजा आम, बागवानी को कीटों से बचाने के लिए तैयार रहे बागवान

डीएन ब्यूरो

जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में 15 हजार एकड़ में आम की बागवानी है। इस बार फलों के राजा आम हर आदमी के लिए खास बनने वाला है। इनमें बसंत ऋतु में बौर आने भी शुरू हो गए हैं। आम बागान के मालिक इन बौर को बचाने के लिए तैयार रहे। डाइनामाइट न्यूज़ पर जानिये औद्यानिक विशेषज्ञों की राय

आम के पेड़ पर आने लगे बौर
आम के पेड़ पर आने लगे बौर


महराजगंजः इस साल फलों का राजा आम हर आदमी के लिए खास बनने वाला है। आम के पेड़ में बौर आने शुरू हो गए हैं। मौसम के बदलते रूख से गुम्बा कीट का प्रकोप तेज होने वाला है। साथ ही गुजिया व मिज कीट का भी प्रभाव होता है। इसके नियंत्रण के लिए फंजीसाइड दवा का छिड़काव जरूरी है। इस दौर में सर्वाधिक आम की फलत के लिए आम के बागीचे की सिंचाई और जुताई नितान्त जरूरी हो गया है।

16 हजार एकड़ में फैला है आम का बाग
उद्यान विभाग के अनुसार जनपद में आम की 15 हजार एकड़ में बागान फैली है। यह बाग खासकर निचलौल, सिसवा, घुघली, पनियरा, फरेंदा व बृजमनगंज में स्थित है। इनमें निचलौल क्षेत्र में कपूरी व दशहरी, घुघली क्षेत्र में दशहरी, कपूरी, पनियरा क्षेत्र में कपूरी, सिसवा क्षेत्र में दशहरी व कपूरी, फरेंदा क्षेत्र में दशहरी व कपूरी व बृजमनगंज क्षेत्र में सर्वाधिक देशी आम के बागीचे हैं।

कीटों से बचाएं आम का बाग
उद्यान निरीक्षक विकास श्रीनेत के अनुसार आम के पेड़ में अब बौर आने शुरू हो गए हैं। आम के पेड़ में गुम्बा कीट लगने का प्रकोप होता है। इसके आरम्भ होते ही बौर कलिकाओ को काट देना चाहिए। इस रोग के साथ आम के बागो में गुजिया एवं मीज कीट का भी प्रकोप होता है।

ऐसे करें कीटो पर नियंत्रण
कीट नियंत्रण के लिए बागो की गहरी जुताई-गुड़ाई करना चाहिए। शिशु कीट को पेड़ पर चढ़ने से रोकने के लिए मुख्य तने पर भूमि से 50-60 सेमी की उंचाई पर 400 गेज की पालीथीन शीट की 50 सेंटीमीटर चैड़ी पटृटी तने के चारो ओर लपेटकर सुतली से बांध देनी चाहिए।

मिज कीट पर इन दवाओं का करें प्रयोग
मिज कीट आम के बौर में मंझरियों या तत्काल बने फूलों और बाद में कोपलों में अंडा देती है। जिसकी सूडी अंदर ही अंदर खाकर क्षति पहुंचाती है। इस कीट के
नियंत्रण के लिए फेनिटृोथियान 50 ईसी 1,0 मिलीलीटर डायजिनान 20 ईसी 2,0 मिलीमीटर या डायमेथोएट 30 ईसी 1,5 मिलीमीटर दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर एक छिड़काव बौर निकलने पर कर देना चाहिए।










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