Supreme Court: बिलकीस मामले में सजा संबंधी छूट पर पिछला फैसला ‘धोखाधड़ी से’ प्राप्त किया गया

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ के 13 मई, 2022 के फैसले को अमान्य करार दिया, जिसने गुजरात सरकार को बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की सजा माफी के आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया था। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 8 January 2024, 7:52 PM IST
google-preferred

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ के 13 मई, 2022 के फैसले को अमान्य करार दिया, जिसने गुजरात सरकार को बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की सजा माफी के आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस फैसले को ‘‘अदालत के साथ धोखाधड़ी करके’’ प्राप्त किया गया था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने 13 मई, 2022 के अपने फैसले में गुजरात सरकार से 9 जुलाई, 1992 की अपनी माफी नीति के संदर्भ में समय से पहले रिहाई के लिए दोषी राधेश्याम शाह की याचिका पर विचार करने को कहा था।

पीठ ने कहा था कि जिस राज्य में अपराध हुआ था उसकी सरकार को आवेदन पर निर्णय लेने का अधिकार है।

शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा कि शाह ने शुरुआत में 2019 में गुजरात उच्च न्यायालय से माफी के अपने आवेदन पर विचार करने का निर्देश देने के लिए संपर्क किया था।

इसने कहा, ‘‘17 जुलाई, 2019 के आदेश द्वारा उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए आपराधिक आवेदन का निपटारा कर दिया कि उन्हें महाराष्ट्र राज्य की सरकार से संपर्क करना चाहिए। गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष उनका दूसरा ऐसा आवेदन भी 2020 में खारिज कर दिया गया था।’’

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि शाह ने बाद में शीर्ष अदालत का रुख किया, लेकिन यह खुलासा नहीं किया कि उन्होंने 17 जुलाई, 2019 के आदेश के 14 दिन के भीतर, माफी के लिए अपने आवेदन के साथ महाराष्ट्र सरकार से संपर्क किया था और सीबीआई तथा विशेष न्यायाधीश (सीबीआई), मुंबई ने उनके मामले में नकारात्मक सिफारिश की थी।

पीठ ने कहा, ‘‘इस प्रकार, भौतिक पहलुओं को दबाकर और इस न्यायालय को गुमराह करके, प्रतिवादी राज्य गुजरात को माफी नीति के आधार पर रिट याचिकाकर्ता यानी प्रतिवादी संख्या 3 की समय पूर्व रिहाई या माफी पर विचार करने के लिए एक निर्देश जारी करने की मांग की गई थी और यह जारी किया गया था।’’

No related posts found.