Supreme Court: उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा की याचिका पर जवाब दे केंद्र
उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा के स्थानीय निवासियों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को “असंवैधानिक” करार देने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर राज्य सरकार की याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा के स्थानीय निवासियों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को “असंवैधानिक” करार देने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर राज्य सरकार की याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने हरियाणा सरकार द्वारा दायर अपील पर केंद्र सरकार और फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन को नोटिस जारी किया।हरियाणा सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला तर्कहीन है।
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राज्य सरकार ने 17 नवंबर, 2023 के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उच्च न्यायालय ने हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवार रोजगार अधिनियम, 2020 को भी “अधिकार क्षेत्र से परे” करार दिया था और कहा था कि यह 'लागू होने की तारीख से अप्रभावी' माना जाएगा।
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इसने 83 पृष्ठ के फैसले में कहा था, “हमारी सुविचारित राय है कि रिट याचिकाएं अनुमति दिए जाने योग्य हैं और हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवार रोजगार अधिनियम, 2020 असंवैधानिक तथा भारत के संविधान के भाग-3 का उल्लंघन है। इसलिए इसे अधिकारक्षेत्र से परे मानकर लागू होने की तारीख से अप्रभावी माना जाता है।”
उच्च न्यायालय ने 15 जनवरी, 2022 से लागू होने वाले और राज्य के उम्मीदवारों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले अधिनियम के खिलाफ कई याचिकाएं स्वीकार की थीं। इसमें अधिकतम 30,000 रुपये तक के सकल मासिक वेतन या भत्ते वाली नौकरियां शामिल थीं।