Radha Ashtami: राधा अष्टमी का त्योहार 4 सितंबर को, इस तरह करें राधा रानी स्वागत, जानिए व्रत व पूजा की विधि, मिलेंगे ये लाभ
कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही अब राधा अष्टमी का त्योहार आने वाला है। भक्त राधा रानी के स्वागत में जुटे हुए हैं। मथुरा, वृंदावन और बरसाने में इसे खास तरीके से मनाया जाता है। डाइनामाइट न्यूज़ पर जानिए राधा अष्टमी के व्रत और पूजा की विधि
नई दिल्ली: हिन्दू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पंद्रह दिन बाद राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल राधा अष्टमी का पर्व 4 सितंबर मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की प्रिय राधा रानी का जन्म हुआ था।
भक्त रखतें हैं व्रत
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कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी का त्योहार भी मथुरा, वृंदावन और बरसाने में धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन व्रत रख कर राधा रानी की पूजा की जाती है। राधा अष्टमी के दिन भक्त आमतौर पर आधे दिन का उपवास रखते हैं। लेकिन, एकादशी की तरह, कुछ भक्त पूरे दिन का भी व्रत रखते हैं और कुछ तो बिना पानी के रहते हैं।
व्रत और पूजा की विधि
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राधा अष्टमी के दिन भक्त सूर्योदय से पहले उठकर राधा रानी की पूजा करते हैं। इस दिन कई महिलाएं राधा की मूर्ति को दूध, गुड़, दही, शहद और घी से बने पंचामृत में स्नान करती हैं। उसके बाद एक तांबे के पात्र में राधा जी की मूर्ति स्थापित कर उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाकर उनका श्रंगार करती है। पूजा के बाद राधा रानी को प्रसन्न करने के लिए श्री राधा चालीसा का भी पाठ किया जाता है और हो सके तो राधा कृष्ण के मंत्रों का जाप कर लें।
मिलता है माता लक्ष्मी का आशीर्वाद
भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी एक-दूसरे से अथाह प्रेम करते थे। कहा जाता है कि राधा के बिना कृष्ण जी की पूजा अधूरी होती है। इस दिन व्रत और पूजन करने वालों को सभी सुखों की प्राप्ति होती है और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।