महराजगंज: बुलडोजर से घर गिराने की चेतावनी से लोगों में दहशत, जिला प्रशासन मौन

डीएन ब्यूरो

दो दिन से लाउडस्पीकर से मुनादी करायी जा रही है कि 16-16 मीटर बीच सड़क से नगर में पड़ने वाले मकान-दुकान के मालिक खुद अपना आशियाना तोड़ लें ताकि नेशनल हाइवे बन सके यदि ऐसा खुद नहीं किया गया तो 6 सितंबर से बुलडोजर लगा कर जबरन तोड़ दिया जायेगा। इसके बाद नगर में गुस्से व दहशत का माहौल है। नगरवासी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि वे अपने नंबर की जमीन पर काबिज हैं तो कैसे ठेकेदार कह रहे हैं कि सब लोग अपना दुकान-मकान तोड़ लें? क्या संवैधानिक मानक है? क्या नियम-कानून है? इन सब पर जिले के बड़े अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। जब कोई बड़े अफसरों के पास जा रहा है तो वे अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं कि यह एनएच का मामला है हमसे कोई मतलब नही। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर..



महराजगंज: इस समय जिले में सबसे अहम मुद्दे यानि कि हाईवे निर्माण ने ऐसा मोड़ लिया है, जिससे नगर के हजारों लोगों की नींद उड़ गई है। दो दिन पहले टैम्पू पर लाउडस्पीकर बांध यह मुनादी करा दी गयी कि नगर के बीच से 16-16 मीटर दोनों तरफ नेशनल हाइवे का निर्माण कराया जायेगा, जिसका भी मकान-दुकान हो तत्काल तोड़ लें नहीं तो जबरन 6 सितंबर से बुलडोजर से गिरा दिया जायेगा। इसके बाद से चारों ओर हड़कंप है। किसी को समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें। आज फिर सुबह से लाउडस्पीकर से मुनादी करायी जा रही है कि 6 सितबंर से तोड़फोड़ होगी।

 

सबसे बड़ा सवाल यह है कि सड़क निर्माण की कंपनी व उससे जुड़े ठेकेदार व कर्मचारियों की थोड़ी सी भी लापरवाही व गलत बयानी से कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी तो फिर जिले के बड़े अफसर मुख्यमंत्री को क्या जवाब देंगे?

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क्या जिला प्रशासन के किसी जिम्मेदार अफसर की यह जिम्मेदारी नहीं है कि वह तस्वीर साफ करे कि कैसे ठेकेदार व उससे जुड़े लोग गलत बयानी कर लाउडस्पीकर से मुनादी करा रहे हैं? क्या वाकई किसी की नंबर की जमीन है तो बिना नियम-कानून के, बिना लिखित नोटिस व मुआवजे के कोई भी ठेकेदार संविधान में प्रदत्त व्यवस्था को ताक पर रख बुलडोजर चलवा देंगे और जिले के अफसर अंजान बनकर तमाशा देखेंगे और बहाना बनाते रहेंगे कि उन्हें कुछ पता ही नही?

 

 

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सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ठेकेदार ने जो मुनादी करायी है वह सही है? यदि नही तो फिर जिला प्रशासन ने अब तक उसके खिलाफ कोई विधिक कार्यवाही क्यों नहीं की? कैसे उसने गलतबयानी कर नगर में दहशत फैलाने का काम किया? इसके पीछे क्या कोई षड़यंत्र है? पर्दे के पीछे के ऐसे कौन असामाजिक तत्व हैं जो दूसरे के आशियाने को उजड़ते देख अपने स्वार्थ को साधने में जुटे हैं?

इस बारे में जिला प्रशासन का पक्ष जानने के लिए डीएम अमरनाथ उपाध्याय को फोन किया गया लेकिन उनका मोबाइल रिसीव नहीं हुआ। 

स्थानीय लोगों ने डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में कहा कि नगर के लोगों को बिना किसी नोटिस या लिखित चेतावनी के अपने आशियाने को खाली कराने के लिए जबरन दवाब बनाया जा रहा है। जो सरासर अन्याय है। लोगों का कहना है कि लाउडस्पीकर से दहशत पैदा कर बिना नोटिस दिये अपने नंबर के मकानों को तोड़ने के लिए जबरन दबाव बनाया जा रहा है। 

 

 










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