

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा में भाजपा सरकार के बजट निराशानजक बताया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में क्या-क्या बोले अखिलेश यादव
नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा पर बजट में चर्चा के दौरान केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार पर जमकर हमले बोले। सपा प्रमुख ने बजट 2025 को निराशाजनक करार दिया और कहा कि बजट में गरीबों, किसानों और आम लोगों के लिये कोई खास प्रवाधान नहीं किये गये हैं। इसके साथ ही उन्होंने सरकार की डिजिटल योजना समेत कई योजनाओं को भी कटघरे में खड़ा किया।
अखिलेश यादव ने कहा कि जबसे केंद्र में भाजपा की सरकार बनी है, तबसे देश में महंगाई चरम पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी इस सरकार के सबसे दो बड़े आर्थिक विकार हैं। जबकि सरकार इस आर्थिक सुधार मानती है, जो सरासर गलत है।
लोकसभा में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि एक समय लोग बजट आने पर खुश होते थे लेकिन भाजपा का बजट मायूसी लेकर आता है। भूख मिटे, महंगाई घटे’ यही बजट का मूल मंत्र होना चाहिये है। यदि बजट आने से कोई निर्बल सबल होता है तो समझिये बजट का उद्देश्य पूरा हुआ। लेकिन इस बजट में ऐसा कुछ नहीं हुआ।
लोकसभा में सपा प्रमुख अखिलेश यादव का डिजिटल इंडिया पर बड़ा बयान@yadavakhilesh @dimpleyadav @samajwadiparty pic.twitter.com/WpVIx9fmAx
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) February 11, 2025
अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डबल इंजर सरकार डबल ब्लंडर कर रही है। सरकार ने अभी तक महाकुंभ भगदड़ में मृतकों का आंकड़ा नहीं दिया।
अखिलेश यादव ने कहा कि किसानों के हिस्से में काले कानून नहीं बल्कि सतरंगी सपने आने चाहिये। लेकिन इस बजट में किसानों को कुछ नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि देश के कई कारोबारी और उद्योगपति खूब लाभ कमा रहे हैं वहीं आलू उत्पादक समेत कई किसान परेशान हैं।
अखिलेश यादव ने डिजिटल इंडिया को लेकर भी सरकार को घेरा। सवाल किया कि डिजिटल इंडिया कहां है? देश में डिजिटल अरेस्ट हो रहे है। डिजिटल फ्रॉड हो रहे हैं। विभिन्न साइबर क्राइम का जिक्र करते हुए कहा कि डिजिटल इंडिया करते-करते डिजिटल अरेस्ट। पूछा कि विकसित भारत की ये कैसी तस्वीर है?
उन्होंने कहा कि हर तरफ नकारात्मकता, भेदभाव, फेक न्यूज़, गलत प्रचार को रोकना होगा। यह विपक्ष से ज्यादा सरकार की जिम्मेदारी है।