Research Report: वैज्ञानिकों ने किया खुलासा, मौसम की गरमाहट भी गर्माती है हेट स्पीच के मामले

डीएन ब्यूरो

जलवायु परिवर्तन का खतरा समूचे विश्व पर मंडराता जा रहा हैं। सोशल मीडिया की व्यापकता के साथ ऑनलाइन हेट स्पीच एक नई चुनौती बनती जा रही है। एक हालिया शोध में वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन और हेट स्पीच के लिंक को जोड़ा है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

मौसम की गरमाहट भी गर्माती है हेट स्पीच के मामले
मौसम की गरमाहट भी गर्माती है हेट स्पीच के मामले



नई दिल्ली: भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में हेट स्पीच यानी द्वेष या नफरत फैलाने वाली भाषा के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सोशल मीडिया और इंटरनेट की व्यापकता के कारण हेट स्पीच के मामले भी सभी सीमाओं को तोड़ते हुए एक नई वैश्विक चुनौती बनती जा रही है। हेट स्पीच से इतर जलवायु परिवर्तन का खतरा समूचे विश्व पर मंडराता जा रहा हैं। वैज्ञानिकों के एक नये शोध के दावों पर यदि यकीन किया जाए तो हेट स्पीच के मामले जलवायु परिवर्तन से भी जुडे हुए हैं। मौसम का घटता-बढ़ता तापमान भी हेट स्पीच को प्रभावित करता है। यह बात भले ही अटपटी लगे लेकिन वैज्ञानिकों का नया शोध बताता है कि अत्यधिक मौसमी तापमान ऑनलाइन हेट स्पीच के लिए आग में घी डालने वाला काम करता हैं। 

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जर्मन पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च (PIK) के नये शोध में ये तथ्य उजागर हुए हैं। यह शोध विश्व की प्रमुख साइंस-शोध पत्रिका ‘द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ’ में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में पाया कि अमेरिका में ऑनलाइन हेट स्पीच या हिंसक व्यवहार में तब तेज वृद्धि दर्ज की गई, जब वहां का तापमान का घट-बढ़कर 12-21 डिग्री सेल्सियस (54-70 डिग्री फारेनहाइट) के ऊपर या नीचे होता है।

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द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन की पहली लेखिका और पीआईके की वैज्ञानिक अन्निका स्टीकेमेसर का कहना है कि इस शोध के लिए अमेरिका में 4 बिलियन से अधिक हेट स्पीच वाले ट्वीट्स का अध्ययन किया गया और एआई एल्गोरिदम व मौसम डेटा के साथ उनके सामंजस्य को खंगाला गया। ट्वीट के साथ ही अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों, आय समूहों और लोगों के विश्वास व मान्यताओं का भी आंकलन किया गया। 

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स्टीकेमेसर का कहना है कि हमने अपने अध्ययन में पाया कि अमेरिका में 12-21 डिग्री सेल्सियस (54-70 डिग्री फारेनहाइट) के बीच ठंडे तापमान के दौरान हेट स्पीच के मामले 12% तक और गर्म तापमान में हेट स्पीच के मामले 22% तक बढ़ जाते है। शोधकर्ताओं ने पाया कि मौसम में बहुत गर्म या ठंडे तापमान के दौरान इंटरनेट और ट्विटर पर हेट स्पीच के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई। 

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वैज्ञानिकों का कहना है कि तीव्र गर्मी और जलवायु परिवर्तन इंसान के सामाजिक पहलू को प्रभावित करता है। इंसान का सामाजिक सामंजस्य और मानसिक स्वास्थ्य पर डिजिटल क्षेत्र और सोशल मीडिया का प्रभाव साफ नजर आता है।










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