कंपनी कानून में ऋण वसूली कार्यवाही को बदलने से जुड़े मामले में पढ़िये ये नया आदेश
राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने सोमवार को कहा कि दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के प्रावधानों को ऋण वसूली की कार्यवाही में नहीं बदला जा सकता क्योंकि इस विशेष संहिता का विचार कर्जदार कंपनी को अपने पैरों पर वापस खड़ा करना है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने सोमवार को कहा कि दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के प्रावधानों को ऋण वसूली की कार्यवाही में नहीं बदला जा सकता क्योंकि इस विशेष संहिता का विचार कर्जदार कंपनी को अपने पैरों पर वापस खड़ा करना है।
कॉपरटन ब्रूइंग के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने के राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के एक आदेश को खारिज करते हुए राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने माना कि ‘दो पक्षों के बीच विवादों के साक्ष्य पर आंखें मूंदकर याचिका को स्वीकार करने में स्पष्ट रूप से गलती हुई।’
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एनसीएलएटी पीठ ने कहा कि जब एक संचालित लेनदार कॉरपोरेट कर्जदार के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करना चाहता है, तो यह केवल स्पष्ट मामलों में किया जा सकता है, जहां दोनों के बीच कोई वास्तविक विवाद मौजूद नहीं है।
इस पीठ में एनसीएलएटी के चेयरपर्सन जस्टिस अशोक भूषण और सदस्य बरुन मित्रा हैं।
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