Greater Noida: नाबालिग ने कुत्ते के बच्चे को ऊंचाई से फेंका, प्राथमिकी दर्ज
ग्रेटर नोएडा पुलिस ने एक नाबालिग लड़के द्वारा कथित तौर पर ऊंचाई से एक कुत्ते के बच्चे को जानबूझकर सड़क पर फेंकने की घटना को लेकर की कई शिकायत के आधार पर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: ग्रेटर नोएडा पुलिस ने एक नाबालिग लड़के द्वारा कथित तौर पर ऊंचाई से एक कुत्ते के बच्चे को जानबूझकर सड़क पर फेंकने की घटना को लेकर की कई शिकायत के आधार पर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी देते हुए कहा कि इस घटना में कुत्ते के बच्चे की मौत हो गयी।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार गैर लाभकारी संगठन ‘पीपुल फॉर एनिमल्स’ (पीएफए) के एक स्वयंसेवी द्वारा दर्ज करायी प्राथमिकी के अनुसार, तकरीबन 9-10 साल का लड़का एवेन्यू गौड़ सिटी-2 का निवासी है। प्राथमिकी में कहा गया है कि यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गयी और इसे सोसायटी के समूहों और सोशल मीडिया पर ‘रील’ के तौर पर साझा किया गया।
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प्राथमिकी में कहा गया है कि वीडियो में देखा गया कि लड़के ने कथित तौर पर एक वयस्क की देखरेख में करीब एक माह के कुत्ते के बच्चे को बेरहमी से उठाया, जो कि एक झाड़ी में छिपा हुआ था। लड़का उसे एक सड़क की तरफ लेकर गया जबकि कुत्ता मिमियाता रहा और उसके चंगुल से छूटने की असफल कोशिश करता रहा।
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प्राथमिकी में कहा गया है कि कुत्ते के बच्चे के लगातार मिमियाने के बावजूद लड़के ने उसे ऊंचाई से फेंक दिया जिससे उसकी मौत हो गयी।
प्राथमिकी में बच्चे को एक किशोर न्याय अदालत में पेश करने और उसकी मानसिक स्थिति की जांच कराने का अनुरोध किया गया है।
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पीएफए स्वयंसेवी सुरभि रावत ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘इसी सोसायटी में कुछ दिन पहले एक व्यक्ति ने जानबूझकर कुत्ते के एक बच्चे को अपने वाहन से कुचल दिया था। एक अन्य कुत्ते का बच्चा भी संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया गया था। ऐसी आशंका है कि उसे जहर दिया गया था। पोस्टमार्टम कराया जाएगा। कुत्ते के बच्चों के खिलाफ इस तरह की क्रूर हरकतों की वजह सोसायटी के व्हाट्सएप समूह पर फैलायी गयी नफरत है। आजकल बच्चों के पास फोन है और वे वयस्कों द्वारा आसानी से प्रभावित हो जाते हैं जो दिन भर डर पैदा करने और आवारा पशुओं के खिलाफ नफरत फैलाने में लगे रहते हैं।’’
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पीएफए की न्यासी अंबिका शुक्ला ने कहा कि एक बच्चे का भावहीन होना चिंता की बात है।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे मनोरोगी प्रवृत्ति का पता चलता है जिससे तुरंत निपटा जाना चाहिए, वरना ऐसा न हो कि हमारे बीच एक राक्षस का पता चले। जो लोग पशुओं को नुकसान पहुंचाते हैं वे एक खतरनाक उदाहरण पेश करते हैं जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। अपने पूर्वाग्रहों से एक पूरी पीढ़ी को विकृत न करें।’’
उन्होंने कहा कि हाल में राज्यसभा सदस्य साकेत गोखले ने एक निजी सदस्य विधेयक पेश करते हुए पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम कानून में सर्वसम्मति से संशोधन करने का अनुरोध किया।
गोखले ने कहा था, ‘‘मौजूदा कानूनों के अनुसार, पशुओं पर अत्याचार करने के लिए केवल 500 रुपये जुर्माने की सजा है। मेरे विधयेक में इस कानून में संशोधन और पशुओं पर अत्याचार करने वाले लोगों पर एक लाख रुपये तक जुर्माना लगाने और एक साल तक की सजा सुनाने का प्रावधान है।’’