गोरखपुर नर्रे ताल: प्राकृतिक सौंदर्य और पक्षियों का स्वर्ग, उपेक्षा के साए में

गोरखपुर के नर्रे ताल में प्राकृतिक सौंदर्य और पक्षियों का स्वर्ग माना जाता हैं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज की पूरी खबर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 27 March 2025, 7:49 PM IST
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गोरखपुर: गगहा ब्लॉक स्थित ऐतिहासिक नर्रे ताल प्राकृतिक जल से सदैव लबालब भरा रहने वाला एक जीवंत जलाशय है, जो न केवल स्थानीय पशुओं और ग्रामीणों की जरूरतें पूरी करता है, बल्कि प्रवासी पक्षियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण आश्रय स्थल बना हुआ है।

पक्षियों और पशुओं का प्राकृतिक घर

यह ताल अब दो भागों में विभाजित हो चुका है, छिछले हिस्से को कुशमी और गहरे हिस्से को सकरा कहा जाता है। यह इलाका वर्षों से प्रवासी पक्षियों और जलीय जीवों के लिए अनुकूल स्थान बना हुआ है। स्थानीय बुजुर्गों की मानें तो इस विशाल ताल में कभी नावें चला करती थीं, और लोग इसके माध्यम से एक गांव से दूसरे गांव तक सफर करते थे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार ताल के जल में बड़ी संख्या में मछलियाँ और अन्य जलजीव मौजूद हैं, जो पक्षियों के लिए भोजन का प्रमुख स्रोत हैं। इसके चारों ओर हरे-भरे चारागाह पशुओं को पर्याप्त चारा प्रदान करते हैं। यही कारण है कि यहां सर्दियों के मौसम में बड़ी संख्या में जजविदेशी और देशी पक्षी डेरा डालते हैं।

हपर्यटन की संभावनाएं, पर प्रशासन की उपेक्षा

नर्रे ताल का शांत वातावरण, पक्षियों की चहचहाहट और हरे-भरे नजारों के कारण इसे एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। यदि यहां आधारभूत सुविधाएं विकसित की जाएं, तो यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है।

हालांकि, स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण इस ताल का अब तक सुंदरीकरण नहीं हो सका है। उचित देखभाल और विकास के अभाव में यह ऐतिहासिक स्थल अपनी चमक खोता जा रहा है।

प्रशासन ने दिया आश्वासन

ताल के संरक्षण और जलस्तर बनाए रखने को लेकर एसडीएम बांसगांव प्रदीप सिंह ने कहा कि, "ताल के जल को सूखने नहीं दिया जाएगा। इसे सुरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।"

जरूरत संरक्षण और संवर्धन की

यदि इस ताल की सही देखभाल की जाए, तो यह न केवल वन्यजीवों और पर्यावरण संरक्षण में सहायक होगा, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। इसके संरक्षण के लिए सरकार और स्थानीय लोगों को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है, ताकि यह प्राकृतिक धरोहर अपनी खूबसूरती और जैव विविधता को बनाए रख सके।