गोरखपुर: गोलीकांड मामले में गार्ड ने किया सरेंडर, चंद्र प्रकाश अग्रवाल को बचाने का पुलिसिया खेल जारी

गैलेंट इस्पात लिमिटेड के धनवान व्यापारी चंद्र प्रकाश अग्रवाल उर्फ चंदू को गोरखपुर पुलिस का भरपूर संरक्षण हासिल है। इसका सबसे बड़ा सबूत मिला निहत्थे नाबालिग को सिर में गोली मारने के आरोपी के सरेंडर से। चार दिन तक पुलिस रोज झूठ पर झूठ बोल मामले में लोगों को गुमराह करती रही कि जल्द आरोपी गिरफ्तार होगा लेकिन हुआ इसके ठीक उलट। पहले से लिखी गयी स्क्रिप्ट के तहत आरोपी गार्ड ने बिल्कुल फिल्मी अंदाज में थाने पहुंच सरेंडर किया। डाइनामाइट न्यूज़ की विशेष पड़ताल:

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 27 July 2019, 1:15 PM IST
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गोरखपुर: गरीबों पर जुल्मो-सितम के लिये बदनाम पुलिस अमीरों के आगे कैसे घुटने टेकती है? इसका जीता-जागता उदाहरण देखने को मिल रहा है गैलेंट इस्पात लिमिटेड के धनवान व्यापारी चंद्र प्रकाश अग्रवाल उर्फ चंदू के गार्ड गोलीकांड प्रकरण में। 

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इस हाई-प्रोफाइल मामले में पुलिसिया कार्यवाही पहले दिन से ही सवालों के घेरे में है। सोमवार की शाम साढ़े चार बजे गोरखनाथ थाना क्षेत्र में स्थित धनवान व्यापारी चंदू के घर के बाहर खुले मैदान में कुछ बच्चे क्रिकेट खेलते हैं। गेंद बगल में स्थित चंदू के पुराने कारखाने के अंदर चली जाती है, जिसे लेने 16 साल का निहत्था और अत्यंत गरीब नाबालिग अरविंद चौहान अंदर जाने की हिमाकत कर बैठता है, बस इसी कसूर से खौफजदा चंदू के निजी सुरक्षा कर्मी संदीप सिंह ने न आव देखा न ताव और अपनी दोनाली बंदूक से अरविंद के सिर में गोली उतार दी। 

Chandra Prakash Agarwal of Gallantt Ispat

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इसके बाद से पुलिसिया खेल शुरु हुआ। सरकार चाहे बसपा की हो, सपा की या फिर अब भाजपा की। सत्ता और सिस्टम चंदू के इशारे पर नाचते दिखायी देते हैं। नाबालिग के दिव्यांग पिता संतराज भरी भीड़ के बीच चिल्ला-चिल्ला कहते रहे कि मेरे लड़के को गोली गार्ड ने चंदू के ललकारने पर मारी। जब बेबस पिता ने चंदू के नाम वाली तहरीर पुलिस को दी तो पुलिस ने चंदू के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं की। जबरन दबाव में दूसरी तहरीर लिखवायी गयी और तरीके से चंदू को बचा लिया गया। इसके बाद एक बार भी थाने में बुला चंदू से पूछताछ तक नहीं की गयी। सीसीटीवी का रिकार्ड तक नहीं खंगाला गया। 

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चार दिनों तक गोरखपुर के हर छोटे-बड़े अधिकारी मीडिया को गुमराह करते रहे कि बहुत जल्द आऱोपी पुलिस की गिरफ्त में होगा क्योंकि कई टीमें हमने लगा रखी हैं लेकिन हुआ बिल्कुल अलग। फिल्मी अंदाज में गोली मारने का आरोपी अपने तयशुदा कार्यक्रम से गोरखनाथ थाने पहुंच सरेंडर करता है और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है। 

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक पुलिस को आरोपी ने बताया कि गोली मारने के बाद वह बॉक्स में बंदूक रखकर भाग निकला। मोबाइल ऑफ करके बस्ती, वाराणसी, इलाहाबाद सहित अन्य जगहों पर घूमता रहा।

क्या आरोपी के खिलाफ मजबूत साक्ष्य जुटायेगी पुलिस?
सबसे बड़ा सवाल स्थानीय लोग यह पूछ रहे हैं कि सत्ता सिस्टम को अपने हिसाब से नचाने वाले चंदू और इसके गार्ड पर जिस तरह पुलिसिया संरक्षण पहले दिन से है, उसे देखते हुए इस बात की क्या गारंटी है कि पुलिसिया विवेचना में केस को ही पूरी तरह कमजोर नहीं किया जायेगा? क्या विवेचना निष्पक्ष हो पायेगी? 

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