DN Exclusive: अंग्रेजी नहीं बनेगी बाधा.. अब हिंदी में भी होगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई
इंग्लिश की वजह से इंजीनियरिंग की पढ़ाई से वंचित रहवे वाले छात्रों के लिए एक अच्छी खबर है। एआईसीटीई हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी में भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की इसकी शुरुआत करने जा रहा है। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
लखनऊः इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रमों में इंग्लिश के वर्चस्व को चुनौती मिलने वाली है वो भी हिंदी भाषा से। अब हिंदी मीडियम से स्कूली पढ़ाई करने वाले छात्रों को इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने के लिये परेशानियों से नहीं जूझना पड़ेगा। ऐसे छात्रों के लिए इंजीनियरिंग का स्लेबस हिंदी में भी मिल सकेगा, जिस कारण इंग्लिश में कमजोर होने के कारण छात्रों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई को बीच में नहीं छोड़नी पड़ेगी।
हिंदी मीडियम के छात्रों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अब ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने हिंदी में इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम को शुरू करने की नई पहल की है। अब ऐसे छात्र, जो इंग्लिश की वजह से इंजीनियरिंग में दाखिला लेने से डरते थे, उन्हें अपनी मात्र भाषा में पढ़ाई करने का मौका मिलेगा। इससे न सिर्फ इनमें दक्षता आएगी बल्कि यह संबंधित पाठ्यक्रम को पहले से बेहतर समझ पाएंगे।
यहां पहले ही हिंदी में लागू है पाठ्यक्रम
हालांकि छात्रों की इस समस्या को देखते हुए भोपाल के अटल बिहारी हिंदी विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम को पहले ही हिंदी में शुरू किया जा चुका हैं। वहीं अब एआईसीटीई की इस पहल से छात्रों के चेहरों पर जरूर मुस्कान आएगी।
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एआईसीटीई इसकी शुरुआत पहले हिंदी भाषी राज्यों से करेगी। जिससे यह पता चल सकेगा कि छात्रों की हिंदी में इंजीनियरिंग को लेकर कितनी रूचि है।
एआईसीटीई का छात्रों की विकासपरक गुणवत्ता पर जोर
इस पहल को लेकर गोमती नगर के एक शैक्षिक संस्थान के वार्षिकोत्सव में एआईसीटीई के मेंबर सेक्रेटरी आलोक प्रकाश मित्तल ने पत्रकारों को बताया कि एआईसीटीई छात्रों की विकासपरक गुणवत्ता पर जोर दे रही है। इसलिए अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में भी होगी।
उन्होंने कहा कि एजुकेशन मैकेनिज्म का तकनीकी शिक्षकों में अभाव जरूर नजर आता है। हालांकि इसे दूर करने के लिए ऐसे शिक्षकों को जल्द विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे इनमें भी दक्षता आएगी।
ऐसे शिक्षण संस्थानों में ये कोर्स होंगे बंद
वर्तमान में शिक्षण संस्थानों में देशभर में 50 प्रतिशत से अधिक खाली है जिसकी मुख्य वजह गुणवत्तापरक शिक्षा का अभाव हो सकता है। अब अगर लगातार तीन सालों तक किसी भी संस्थान में अगर 30 प्रतिशत से कम सीटों पर दाखिले होंगे तो संबंधित कॉलेजों पर कार्रवाई की जाएगी।
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जिस भी कोर्स में दाखिले कम होंगे ऐसे कोर्स को बंद कर दिया जाएगा। इस संबंध में करीब 800 कॉलेज चिन्हित किए जा चुके हैं। इस नियम को इसी सत्र से प्रभावी किया जाएगा।
इंटरनेट पर अब हिंदी में मिल जाता है सलेबस
एआइसीटीई के मेंबर सेक्रेटरी का कहना है कि वर्तमान में अगर इंटरनेट पर शिक्षण से संबंधित सामग्री हिंदी में खोजी जाए तो यह आसानी से छात्रों को इंटरनेट पर उपलब्ध हो जाती है।
छात्रों को क्लासरूम टीचिंग से ज्यादा सेल्फ स्टडी पर ध्यान देना होगा जिससे कि वे अधिक से अधिक समय अपनी पढ़ाई को दे सके। वहीं प्रोजेक्ट बेस लर्निंग पर भी ध्यान देने की जरूरत है।