मेरी मृत्यु के बाद भारत से ही हो सकता है मेरा उत्तराधिकारी: दलाई लामा
तिब्बत के मामले में अमरीका ने धर्मगुरु दलाई लामा का समर्थन किया है।अमरीकी दूत सैम्युएल ब्राउन बैक ने चीन से कहा है कि वह अपने सहयोगियों के साथ बातचीत करें। दलाई लामा तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और फिलहाल भारत में रह रहे हैं।
धर्मशााला: तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का कहना है कि उनका उत्तराधिकारी भारत से हो सकता है। वह अपनी आयु के 60 साल भारत में गुजारे हैं और भारत ही से उनका उत्तराधिकारी हो सकता है।
गौरतलब है कि दलाई लामा पिछले 60 साल से भारत में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा है कि उनका उत्तराधिकारी चीन नहीं होगा। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि चीन द्वारा घोषित किए गए किसी भी उत्तराधिकारी को सम्मान नहीं मिलेगा।
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उन्होंने कहा अगर आप भविष्य में दो दलाई लामा देखते हैं, जिसमें से एक आजाद मुल्क भारत से हो और दूसरा चीन से, तो साफ है कि चीन द्वारा घोषित दलाईलामा को नहीं स्वीकार किया जाएगा।
हालांकि इन परिस्थितियों में चीन के लिए यह एक अलग किस्म की ही समस्या होगी। और इस बात की पूरी संभावना है कि आने वाले वक्त में ऐसी स्थिति पैदा हो जहां दो दलाई लामा हों। दोनों ही अपने स्वीकार्यता को लेकर वैश्विक मंचों पर अपनी अपनी बात उठा रहे हों।
यह बातें दलाई लामा ने यह बात निर्वासन के 60 साल पूरे पर कही। आपको बता दें कि दलाई लामा इससे पहले भी उत्तराधिकारी को लेकर अलग अलग बयान देते रहे हैं।
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वहीं इसके जवाब में चीन ने कहा है कि दलाई लामा के अगले उत्तराधिकारी को चीनी सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
अमेरिका ने दलाई लामा का किया समर्थन
तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा के समर्थन में अमरीका ने प्रतिबद्धता दोहराई है। साथ ही चीन से अपील की है कि वह अपने सहयोगियों से बातचीत करे। अमरीका की ओर से कहा गया है कि वह दलाई लामा के दृष्टिकोण का समर्थन करता रहेगा।