Crime in UP: लखनऊ अदालत ने 36 साल पुराने मामले में 3 पूर्व सैन्य अधिकारियों सुनाई ये सजा

डीएन ब्यूरो

लखनऊ की एक विशेष अदालत ने 3.82 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़े 36 साल पुराने मामले में दो सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल और एक मेजर सहित आठ लोगों को तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
फाइल फोटो


नयी दिल्ली: लखनऊ की एक विशेष अदालत ने 3.82 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़े 36 साल पुराने मामले में दो सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल और एक मेजर सहित आठ लोगों को तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह मामला ‘मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज’ के लिए अत्यधिक कीमतों पर स्थानीय स्तर पर खरीद से संबद्ध है, जिस सिलसिले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

सीबीआई ने बताया कि उस समय कमांडर वर्क्स इंजीनियर (सीडब्ल्यूई), एमईएस, इलाहाबाद (कर्नल प्रशासन, कमान स्टेशन श्रीनगर) में पदस्थ रहे लेफ्टिनेंट कर्नल सत्यपाल शर्मा (अवकाश प्राप्त) को विशेष अदालत ने हाल में दोषी ठहराया है।

एजेंसी ने बताया कि अन्य अधिकारी जिन्हें सजा सुनाई गई है, उनमें तत्कालीन दुर्ग अभियंता (पश्चिम) वाई के उप्पल ; वीरेंद्र कुमार जैन, तत्कालीन दुर्ग अभियंता (पूर्व); एस एस ठक्कर (मेजर), तत्कालीन दुर्ग अभियंता (वायुसेना), बमरौली, इलाहाबाद (अब प्रयागराज) शामिल हैं।

एजेंसी के प्रवक्ता ने बताया कि इनके अलावा अदालत ने अशोक कुमार देवड़ा, अनिल कुमार देवड़ा, पवन कुमार देवड़ा को भी सजा सुनाई है जो काल्पनिक कंपनियों के प्रवर्तक या साझेदार हैं।

नवंबर 1983 से नवंबर 1985 के बीच दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर अत्यधिक कीमतों पर स्थानीय स्तर पर बड़ी मात्रा में खरीद करने के आरोप में सीबीआई ने 25 सितंबर 1986 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

अधिकारी ने कहा, ‘‘आज के संदर्भ में यह रकम छोटी लग रही हो, लेकिन जब यह घोटाला हुआ था, उस समय के लिहाज से एक बड़ी रकम थी।’’

उन्होंने बताया कि चार साल के भीतर सीबीआई ने 19 दिसंबर 1990 को आरोप पत्र दाखिल किया और मामले में 29 अप्रैल 2002 को आरोप तय किए गए।

अधिकारी ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2002 को सुनवाई पर रोक लगा दी और इसे 17 साल बाद हटाये जाने पर 2019 में सुनवाई शुरू हुई।

एजेंसी ने 2020 से यह सुनिश्चित किया कि सभी गवाह अदालत के समक्ष अपना-अपना बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित हों।










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