यूट्यूब पर कार्यवाही की ‘स्ट्रीमिंग’ याचिका को लेकर बड़ी खबर, जानें कब होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनाई

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें 2018 के एक फैसले के अनुसार यूट्यूब पर कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ के कॉपीराइट को लेकर उसके साथ विशेष समझौता करने के बारे में निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें 2018 के एक फैसले के अनुसार यूट्यूब पर कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ के कॉपीराइट को लेकर उसके साथ विशेष समझौता करने के बारे में निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई 10 अप्रैल की वाद सूची के अनुसार प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ याचिका पर सुनवाई करेगी।

दो जनवरी को इस मामले की सुनवाई के समय याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि अदालत की रजिस्ट्री ने कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ पर 2018 के फैसले में दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया है। इस पर उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि किसी की आलोचना करना बहुत आसान है।

पीठ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व विचारक के एन गोविंदाचार्य की ओर से पेश अधिवक्ता विराग गुप्ता से पूछा था कि ऐसे समय में ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ के लिए किन तौर-तरीकों का पालन किया जा सकता है जब राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) कह रहा कि उसके पास तीसरे पक्ष के एप्लिकेशन के बिना अदालत की ‘लाइव-स्ट्रीम’ कार्यवाही के लिए पर्याप्त तकनीकी ढांचा नहीं है।

पीठ ने दो जनवरी के अपने आदेश में इस मामले में शीर्ष अदालत के महासचिव की ओर से दाखिल हलफनामे का हवाला दिया था।

हलफनामे में कहा गया था कि शीर्ष अदालत की पूर्ण पीठ ने पिछले साल 20 सितंबर को हुई बैठक में संविधान पीठों के समक्ष कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ शुरू करने का फैसला लिया था।

पिछले साल 17 अक्टूबर को, शीर्ष अदालत गोविंदाचार्य की उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी, जिसमें 2018 के फैसले के अनुसार अदालती कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ पर कॉपीराइट की सुरक्षा को लेकर यूट्यूब के साथ एक विशेष समझौते के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

गोविंदाचार्य ने दलील दी है कि उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ उस फैसले के अनुसार की जानी चाहिए जिसमें कहा गया है कि ‘लाइव स्ट्रीम’ की गई कार्यवाही पर कॉपीराइट को सौंपा नहीं किया जा सकता है और न ही यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म द्वारा व्यावसायिक रूप से इसका उपयोग किया जा सकता है।










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