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भीलवाड़ा के मालोला गांव की नहर के पानी टैंक में फंसी नीलगाय को गौसेवा समिति द्वारा रस्सी की मदद से 45 मिनट की मेहनत के बाद सुरक्षित बाहर निकाला गया। जब नीलगाय को बाहर निकाला गया तो आसपास खड़े लोग काफी प्रभावित हुए। कुछ देर में देखा गया कि धीरे‑धीरे नीलगाय अपनी ताकत वापस पाती है।
नीलगाय को रेस्क्यू
Bhilwara: भीलवाड़ा के मालोला गांव में उस सुबह कुछ ऐसा नजारा सामने आया जिसने हर किसी के दिल को छू लिया। नहर की दिशा में टहलते हुए जहां लोग कुदरती आवाजों का लुत्फ उठाते हैं। वहीं इस बार एक आजाद जंगली नीलगाय पानी के टैंक में फंसी हुई दिखाई दी। आवाज इतनी तेज थी कि आसपास वाले भी दंग रह गए।
सुबह की ताजगी भरी हवाओं के बीच जब श्री राम गौसेवा समिति के युवराज सिंह नहर के पास टहल रहे थे। तब उन्होंने पानी की आशंका से भरी एक अजीब सी आवाज सुनी। पास जाकर देखा तो एक नीलगाय पानी के टैंक में गिरकर संघर्ष कर रही थी। वह करीब दो घंटे से वहीं फंसी हुई थी। आसपास के लोगों से पूछताछ करने पर पता चला कि कुछ लोग पहले भी उसे उठता‑डूबता देखते रहे लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया।
नीलगाय की हालत को देखकर युवराज सिंह ने तुरंत श्री राम गौसेवा समिति के गौसेवक राम लखन को सूचना दी। राम लखन ने टीम के साथ गौसेवा रथ, रस्सी और आवश्यक उपकरण लेकर मौके पर पहुंचकर नीलगाय को बचाने का निर्णय लिया। स्थिति नाजुक थी, क्योंकि टैंक में पानी और नीलगाय के पांव की वजह से उसका शरीर अकड़ा हुआ था।
45 मिनट में बचाव
गौसेवकों ने 45 मिनट तक लगातार रस्सी की सहायता से सावधानी से काम किया। खुद को जोखिम में डालते हुए नीलगाय को पानी के बाहर निकाला। नीलगाय थक चुकी थी। पांव अकड़ चुके थे लेकिन टीम ने उसे सहलाकर धीरे‑धीरे उसकी हालत को सुधारा। थोड़ी मालिश के बाद नीलगाय की हालत में सुधार आया और वह फिर से अपने पैरों पर दौड़ने लायक हो गयी।
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जब नीलगाय को बाहर निकाला गया तो आसपास खड़े लोग काफी प्रभावित हुए। कुछ देर में देखा गया कि धीरे‑धीरे नीलगाय अपनी ताकत वापस पाती है और खेतों की ओर भागती है। मानो फिर से अपनी दुनिया में वापस लौट रही हो। यह दृश्य दिखाता है कि अगर इंसान अपने प्रयासों में दिल से जुट जाए तो ज़िंदगी को बचाना संभव है।