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भीलवाड़ा के HRJ प्लाज़ा के पीछे स्थित बिना नाम की गौशाला में गौवंश हरे चारे की जगह कचरा खाने को मजबूर है। नगर निगम का टिपर रोज़ाना यहां कचरा गिराकर चला जाता है, जिससे प्लास्टिक और गंदगी का ढेर बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कचरा खाते गौवंश
Bhilwara: राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में स्वच्छता और गौ-संरक्षण प्रणाली की पोल खोलता एक बेहद चिंताजनक मामला सामने आया है। HRJ प्लाज़ा के पीछे स्थित एक बिना नाम की गौशाला में गौवंश इन दिनों हरे चारे के बजाय कचरा खाने को मजबूर है। यहां नगर निगम रोज़ाना अपना ऑटो-टिपर भेजकर कचरा डालता है और यह गंदगी का ढेर लगातार बढ़ता जा रहा है। इस पूरे दृश्य ने शहरवासियों को हैरान कर दिया है और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, स्थानीय लोगों द्वारा ली गई तस्वीरें और वीडियो साफ दर्शाते हैं कि गौवंश का बड़ा हिस्सा प्लास्टिक के टुकड़े, सड़े-गले भोजन, घरेलू कचरे और गंदगी से भरे ढेर के बीच चारा ढूंढने की कोशिश करता दिख रहा है। यह स्थिति न केवल पशुओं की सेहत के लिए घातक है बल्कि शहर की सफाई व्यवस्था का असली चेहरा भी उजागर करती है।
एक स्थानीय निवासी ने दुख जताते हुए कहा, “निगम का टिपर आता है, कचरा गिराता है और चला जाता है। गायें वहीं से कुछ खाने को तलाशती हैं। अगर यही गौ-संरक्षण है, तो यह शर्म की बात है।”
क्षेत्रवासियों के अनुसार, इस मामले को लेकर नगर निगम में कई बार शिकायतें की जा चुकी हैं। लेकिन न तो कचरा फेंकने पर रोक लगी और न ही गौशाला की सुध ली गई। लोगों का कहना है कि HRJ प्लाज़ा के पीछे का यह इलाका धीरे-धीरे अनौपचारिक डंपिंग ज़ोन बनता जा रहा है। बदबू, गंदगी और प्लास्टिक कचरे के कारण यहां का वातावरण दूषित हो चुका है, जिससे आसपास रहने वालों की सेहत भी खतरे में पड़ने लगी है।
भीलवाड़ा में गौ-संरक्षण के नाम पर कई योजनाएं और घोषणाएं की गई हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। इस बिना नाम की गौशाला में न तो कोई प्रबंधन है, न रिकॉर्ड, न साफ-सफाई। स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां असल में कचरे के बीच जीते-मरते गौवंश ही नजर आते हैं। कई बार प्लास्टिक खाने से उनकी तबीयत बिगड़ चुकी है, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ।
क्षेत्रवासी इस मुद्दे को लेकर प्रशासन से तीन मुख्य मांगें कर रहे हैं-
अबतक न तो निगम की ओर से कोई कार्रवाई दिखाई दी है और न ही इस गौशाला को नियमित निरीक्षण में शामिल किया गया है। शहर के बीचोंबीच ऐसी स्थिति ने प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। फिलहाल, HRJ प्लाज़ा के पीछे की हालत साफ बता रही है कि भीलवाड़ा में कचरा प्रबंधन और गौ-सुरक्षा दोनों ही ‘राम भरोसे’ चल रहे हैं और सुधार की तत्काल आवश्यकता है।