

बिहार विधानसभा चुनाव में एक नई राजनीतिक पहल देखने को मिल सकती है, जहां गौ सेवक 243 विधानसभा सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार उतारने जा रहे हैं। इसके जरिए गौ हत्या के खिलाफ खड़े मतदाता अपने वोट के जरिए सरकारों से गारंटी चाहते हैं कि गौ हत्या बंद हो।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव की राजनीतिक हवा अब एक नए दिशा में बहती नजर आ रही है। इस बार, 243 विधानसभा सीटों पर गौ सेवकों द्वारा निर्दलीय उम्मीदवार उतारे जाएंगे और इसका मुख्य उद्देश्य गौ हत्या पर रोक लगाना है। यह घोषणा शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पटना में महावीर मंदिर परिसर में दिवंगत आचार्य किशोर कुणाल की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद की। इस ऐलान के बाद बिहार में राजनीति का तात्कालिक तापमान बढ़ गया है, क्योंकि यह कदम देश की राजनीति में एक नई दिशा को जन्म दे सकता है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनका संगठन किसी राजनीतिक पार्टी का हिस्सा नहीं है और न ही वे कोई पार्टी बनाने का इरादा रखते हैं। वे सिर्फ गौ-हत्या के खिलाफ एक बड़ा जनमत जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि गौ हत्या पर कड़ी रोक लगे और इसके लिए हमें चुनावी मैदान में उतरना पड़ा है। यह पहली बार होगा जब गौ-हत्या के खिलाफ वोट डाला जाएगा।" स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि वे विभिन्न राजनीतिक दलों से गौ-हत्या रोकने के लिए गारंटी की मांग करने गए थे, लेकिन जब से कोई ठोस जवाब नहीं मिला, अब वे गौ प्रेमियों से अपील कर रहे हैं कि वे उस उम्मीदवार को वोट दें, जो गौ-हत्या रोकने का संकल्प लें।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने "गौ मतदाता संकल्प यात्रा" की शुरुआत की घोषणा भी की है। यह यात्रा शनिवार को सीतामढ़ी के मां जानकी मंदिर से पूजा अर्चना के साथ शुरू हो गई। इस यात्रा का उद्देश्य बिहार के सभी जिला मुख्यालयों का दौरा करके मतदाताओं से अपील करना है कि वे गौ-हत्या के खिलाफ खड़े होने वाले उम्मीदवारों को अपना वोट दें। स्वामी ने कहा, "हमारा उद्देश्य सिर्फ गौ-हत्या रोकने का नहीं है, बल्कि हम भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपरा की रक्षा करने की भी बात कर रहे हैं।"
बिहार विधानसभा चुनाव में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की यह पहल राज्य की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। जहां एक ओर भाजपा और अन्य दलों के लिए हार्डकोर हिंदू वोटबैंक महत्वपूर्ण है, वहीं दूसरी ओर गौ हत्या के मुद्दे को लेकर अगर वोटों में बिखराव हुआ तो यह बड़े राजनीतिक दलों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की इस घोषणा से राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है, और इसने विपक्षी दलों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है।
गौ-हत्या पर रोक का मुद्दा भारतीय राजनीति में हमेशा से एक संवेदनशील और विवादित विषय रहा है। भाजपा, शिवसेना, और अन्य हिंदूवादी दल अक्सर इस मुद्दे को उठाते रहे हैं, लेकिन अब स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की पहल ने इसे चुनावी मुद्दे के रूप में स्थापित कर दिया है। बिहार विधानसभा चुनाव में गौ प्रेमियों और गौ सेवकों का वोट राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है और यह उन दलों के लिए एक बडी चुनौती हो सकती है जो इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।