

बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने चुनाव आयोग और याचिकाकर्ताओं को 8 अगस्त तक जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही यह स्पष्ट किया कि यदि बड़े पैमाने पर लोगों को मतदाता सूची से बाहर किया गया तो न्यायिक प्राधिकरण के तौर पर तत्काल हस्तक्षेप किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
New Delhi: बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आशंका जताई कि चुनाव आयोग द्वारा 1 अगस्त को प्रकाशित की जाने वाली ड्राफ्ट सूची में बड़ी संख्या में लोगों के नाम हटाए जा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान साफ कहा कि हम एक न्यायिक प्राधिकरण के रूप में इस प्रक्रिया की समीक्षा कर रहे हैं। अगर यह सामने आता है कि बड़े पैमाने पर लोगों को मतदाता सूची से बाहर किया गया है, तो हम बिना देरी किए हस्तक्षेप करेंगे कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 और 13 अगस्त को निर्धारित करते हुए चुनाव आयोग और याचिकाकर्ताओं को 8 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
ड्राफ्ट सूची को लेकर जताई गई चिंता
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 1 अगस्त को जारी होने वाली ड्राफ्ट मतदाता सूची में हजारों वास्तविक मतदाताओं के नाम गायब हो सकते हैं। उन्होंने आशंका जताई कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता से कोसों दूर है, जिससे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो सकता है।
चुनाव आयोग को दिया गया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी पूछा है कि सूची में नाम हटाने और जोड़ने की प्रक्रिया क्या है? क्या संबंधित नागरिकों को सूचना दी गई है? क्या कोई शिकायत निवारण प्रक्रिया उपलब्ध है? इसके साथ ही कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह मतदाता सूची को लेकर किसी भी प्रकार की मनमानी या पक्षपातपूर्ण रवैये को बर्दाश्त नहीं करेगा।
बिहार में सियासी सरगर्मी तेज
इस मामले के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद बिहार की सियासत भी गरमा गई है। विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं और कहा है कि यह प्रक्रिया चुनाव में धांधली की तैयारी का हिस्सा हो सकती है।