

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि जिन लोगों के नाम मतदाता सूची से बाहर हुए हैं, वे अब ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि उम्मीदवार आधार कार्ड के साथ 11 अन्य दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज़ जमा कर सकते हैं। इस पर हैरानी जताते हुए कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों की निष्क्रियता पर सवाल उठाए, क्योंकि 65 लाख नामों पर आपत्ति दर्ज नहीं की गई।
सुप्रीम कोर्ट का EC को निर्देश
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एसआईआर (सामाजिक न्याय, निर्वाचन और पुनरीक्षण) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की और चुनाव आयोग को एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों के नाम मतदाता सूची से बाहर किए गए हैं, वे अब ऑनलाइन तरीके से आवेदन कर सकते हैं, ताकि उन्हें फिर से सूची में शामिल किया जा सके। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आवेदनकर्ताओं को आधार कार्ड के साथ 11 अन्य दस्तावेजों के साथ आवेदन करने की मंजूरी दी है। यह निर्णय उन नागरिकों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है, जिनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए थे।
राजनीतिक पार्टियों की निष्क्रियता पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान चुनाव आयोग से यह जानकारी ली कि अब तक 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं, लेकिन इस पर राजनीतिक पार्टियों ने कोई भी आपत्ति दर्ज नहीं की है। कोर्ट ने इस पर हैरानी जाहिर की और कहा कि राजनीतिक पार्टियां इस गंभीर मुद्दे पर चुप क्यों हैं? यदि इतने बड़े संख्या में नागरिकों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं, तो यह राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस पर आपत्ति दर्ज कराएं और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी योग्य नागरिक मताधिकार से वंचित न हो।
चुनाव आयोग ने इस संदर्भ में बताया कि अब तक कुल 85 हजार नए मतदाता वोटर लिस्ट में जोड़े गए हैं, लेकिन इसके बावजूद राजनीतिक पार्टियों के बूथ लेवल एजेंट्स के जरिए केवल दो आपत्तियां ही दर्ज कराई गई हैं। यह बात अदालत के लिए चिंता का विषय बन गई कि इतने बड़े मसले पर राजनीतिक दलों की तरफ से कोई प्रभावी प्रतिक्रिया नहीं आई है।
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों को जारी किया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि कोई भी व्यक्ति खुद से या राजनीतिक पार्टियों के बूथ लेवल एजेंट्स की मदद से ऑनलाइन आवेदन कर सकता है, ताकि उसे मतदाता सूची में फिर से शामिल किया जा सके। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उम्मीदवारों को अब भौतिक तौर पर फार्म 6 (वोटर रजिस्ट्रेशन फॉर्म) जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्हें केवल ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया का पालन करना होगा।
इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी 12 राजनीतिक दलों को अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश जारी करने चाहिए ताकि वे अपने इलाके के नागरिकों को इस बारे में जागरूक करें। इस जागरूकता अभियान के जरिए राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग मतदाता सूची से बाहर होने की स्थिति में ऑनलाइन आवेदन करें और अपना नाम फिर से जोड़वाएं।
आधार कार्ड और 11 दस्तावेजों के साथ आवेदन की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया कि आवेदन करने वाले नागरिकों को आधार कार्ड के साथ 11 अन्य दस्तावेजों में से कोई भी एक दस्तावेज़ जमा करने की अनुमति दी जाए। इस कदम से प्रक्रिया को और अधिक सरल और सुलभ बनाया गया है, जिससे हर नागरिक के लिए आवेदन करना आसान हो जाएगा। चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि सभी जरूरी दस्तावेज़ों का सही तरीके से पालन किया जाए ताकि किसी भी नागरिक का नाम गलत तरीके से सूची से बाहर न हो।
राजनीतिक दलों का कर्तव्य
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की सभी 12 राजनीतिक पार्टियों को विशेष निर्देश जारी किया है कि वे अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के जरिए मतदाताओं को जागरूक करें। यह प्रयास नागरिकों को अपनी स्थिति के बारे में जानने और यदि उनका नाम मतदाता सूची से हट गया है, तो वे ऑनलाइन आवेदन कर सकें। यह जागरूकता अभियान चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और लोकतांत्रिक बनाने में मदद करेगा।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम न केवल चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाएगा, बल्कि इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि हर योग्य नागरिक को मताधिकार प्राप्त हो। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में न केवल चुनाव आयोग को निर्देश दिया है, बल्कि राजनीतिक दलों को भी अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए कहा है, ताकि किसी भी नागरिक का लोकतांत्रिक अधिकार न छीना जा सके।
ऑनलाइन प्रक्रिया को सुगम बनाना
चुनाव आयोग अब इस आदेश के तहत ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को अधिक सुगम बनाने के लिए तैयार है। आयोग को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो और लोग आसानी से अपने आवेदन कर सकें। इसके साथ ही, चुनाव आयोग को यह भी निर्देश दिया गया कि वे राजनीतिक दलों और नागरिकों को इस प्रक्रिया के बारे में समय-समय पर अपडेट करें, ताकि सभी को इसके बारे में पूरी जानकारी मिल सके।