5 दिन, 10 ज़िले, 66 सीटें: तेजस्वी की यात्रा से बदलेगा बिहार का सियासी नक्शा? बिहार अधिकार यात्रा का हुआ आगाज

तेजस्वी यादव ने जहानाबाद से ‘बिहार अधिकार यात्रा’ की शुरुआत की है। पांच दिन में 10 जिलों की यात्रा के जरिए 66 विधानसभा सीटों पर फोकस किया जाएगा। यह आरजेडी की चुनावी तैयारियों का अहम हिस्सा माना जा रहा है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 16 September 2025, 12:05 PM IST
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Patna: बिहार में सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' के बाद अब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने भी अपने सियासी अभियान की शुरुआत कर दी है। उन्होंने मंगलवार को जहानाबाद से अपनी ‘बिहार अधिकार यात्रा’ का शुभारंभ किया। यह यात्रा सिर्फ एक राजनीतिक रैली नहीं बल्कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को ध्यान में रखकर तैयार की गई एक रणनीतिक योजना है। तेजस्वी यादव की यह यात्रा 5 दिनों में 10 जिलों को कवर करेगी और इस दौरान वह 66 विधानसभा सीटों तक अपनी सीधी पहुँच बनाने की कोशिश करेंगे।

जहानाबाद से वैशाली तक का सफर

तेजस्वी यादव ने इस यात्रा की शुरुआत जहानाबाद के गांधी मैदान से की। यात्रा के रूट में नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर और अंत में वैशाली शामिल हैं। यात्रा का समापन 20 सितंबर को वैशाली में होगा। इस दौरान तेजस्वी विभिन्न जनसभाएं, रोड शो और जनसंवाद कार्यक्रमों में शामिल होंगे। उनका मुख्य फोकस किसान, नौजवान, महिलाएं, रोज़गार, शिक्षा और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर रहेगा। आरजेडी की तरफ से कहा गया है कि यह यात्रा पूरी तरह से पार्टी के बैनर तले हो रही है और इसमें इंडिया गठबंधन का कोई अन्य नेता शामिल नहीं होगा। पार्टी का स्पष्ट संदेश है कि यह यात्रा जनता के अधिकारों की बात करने के लिए है, न कि राजनीतिक गठजोड़ को दिखाने के लिए।

तेजस्वी यादव ने शुरू की बिहार अधिकार यात्रा

पुरानी जीतों को दोहराने और हार को बदलने का प्रयास

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, तेजस्वी की यह यात्रा न सिर्फ जनसंपर्क का माध्यम है, बल्कि एक गंभीर चुनावी रणनीति भी है। 2020 के विधानसभा चुनाव में इन 66 सीटों में से 32 पर महागठबंधन और 34 पर एनडीए को जीत मिली थी। इनमें से कई सीटें आरजेडी की पारंपरिक मज़बूती वाली रही हैं तो कुछ पर उसे करारी हार का सामना करना पड़ा था।

कमज़ोर गढ़ में मज़बूत उपस्थिति दर्ज कराने की योजना

तेजस्वी की यात्रा नालंदा, समस्तीपुर, सुपौल, मधेपुरा जैसे ज़िलों से होकर गुज़रती है, जिन्हें बीजेपी और जेडीयू का मजबूत गढ़ माना जाता है। लेकिन इन इलाकों में भी जातीय समीकरणों के सहारे आरजेडी अपने पक्ष में हवा बनाने की कोशिश कर रही है। इन जिलों में यादव, भूमिहार और अतिपिछड़ी जातियों की अच्छी खासी संख्या है, जो पारंपरिक रूप से आरजेडी के वोट बैंक माने जाते रहे हैं। यही कारण है कि यात्रा का रूट तय करते समय इन इलाकों को प्राथमिकता दी गई है।

पार्टी को नए जोश से भरने की कोशिश

यह यात्रा तेजस्वी के लिए न सिर्फ चुनावी जमीन तैयार करने का माध्यम है, बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में नई ऊर्जा फूंकने का भी प्रयास है। राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा ने बिहार कांग्रेस में नई जान डाली, अब उसी तर्ज पर तेजस्वी यादव आरजेडी को एक्टिव मोड में लाना चाहते हैं। आरजेडी के वरिष्ठ नेता संजय यादव ने कहा, "राहुल गांधी की यात्रा वोटर अधिकारों की बात थी, लेकिन तेजस्वी यादव की यात्रा बिहार के हक और अधिकार को लेकर है। वह किसानों, युवाओं और मज़दूरों की आवाज़ बनना चाहते हैं।"

लालू यादव की शैली में तेजस्वी की वापसी

तेजस्वी यादव की यह यात्रा उनके पिता और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की याद दिलाती है, जो हमेशा सीधे जनता से संवाद को अपनी राजनीति का मूलमंत्र मानते थे। तेजस्वी भी उसी पथ पर चलकर लोगों के बीच पहुंचना चाहते हैं।

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