

बीजेपी ने उप राष्ट्रपति पद के लिए सी. पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाकर सबको चौंका दिया है। आखिर क्यों एक सादगीभरे लेकिन मजबूत दक्षिण भारतीय चेहरे को चुना गया? क्या इसके पीछे सिर्फ अनुभव है या कोई गहरी राजनीतिक चाल? क्या बीजेपी दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है, या जातीय संतुलन साधने की कोशिश हो रही है? ईमानदार छवि, प्रशासनिक क्षमता और विपक्ष के लिए चुनौती बनने वाला चेहरा — राधाकृष्णन का नाम कई सवालों के साथ कई रणनीतियों की ओर इशारा करता है। उनके चयन के पीछे की असली वजहें चौंका सकती हैं।
सी. पी. राधाकृष्णन (फोटो सोर्स गूगल)
New Delhi: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने आगामी उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए सी. पी. राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। महाराष्ट्र के वर्तमान राज्यपाल और तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले राधाकृष्णन का नाम आम सहमति से तय किया गया। अब सवाल यह है कि बीजेपी ने उन्हें ही क्यों चुना? इसके पीछे कई रणनीतिक और राजनीतिक कारण हैं, जिनमें से 5 प्रमुख वजहें इस प्रकार हैं:
राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर दक्षिण भारत से शुरू हुआ और वहीं पर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को खड़ा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह दो बार तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और पार्टी संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत किया। दक्षिण भारत खासकर तमिलनाडु और केरल में बीजेपी को अब भी सीमित सफलता मिली है, ऐसे में एक दक्षिण भारतीय चेहरे को सामने लाकर पार्टी वहां अपनी राजनीतिक पैठ को और गहरा करना चाहती है। इससे दक्षिण भारत में बीजेपी की स्वीकार्यता और बढ़ सकती है।
सी. पी. राधाकृष्णन की छवि एक ईमानदार, सादगी पसंद और शालीन राजनेता की रही है। उन पर कभी किसी तरह का घोटाले या भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। ऐसे समय में जब देश की राजनीति में नैतिकता पर लगातार सवाल उठते रहे हैं, बीजेपी एक ऐसा चेहरा सामने लाना चाहती थी जो हर वर्ग में सम्मान और भरोसे के साथ देखा जाए। उप राष्ट्रपति जैसे गरिमामय पद के लिए यह एक जरूरी गुण माना जाता है।
राजनीति में राधाकृष्णन को तीन दशक से अधिक का अनुभव है। सांसद रहने के साथ-साथ उन्होंने राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद की भी जिम्मेदारी निभाई है। महाराष्ट्र जैसे बड़े और संवेदनशील राज्य का राज्यपाल रहते हुए उन्होंने संतुलन और शांति बनाए रखी, जो उनकी प्रशासनिक क्षमता को दर्शाता है। उप राष्ट्रपति पद के लिए एक ऐसा व्यक्ति चाहिए जो राज्यसभा के सभापति के रूप में भी निष्पक्ष और कुशलता से कार्य कर सके।
राधाकृष्णन ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, जो दक्षिण भारत में शिक्षा, संस्कृति और परंपरा का एक प्रमुख चेहरा माना जाता है। बीजेपी इस चयन के माध्यम से ब्राह्मणों और उच्च शिक्षित वर्ग को भी संदेश देना चाहती है कि पार्टी ऐसे लोगों को भी शीर्ष पदों तक पहुंचने का मौका देती है जो कर्म और योग्यता से आगे बढ़े हों। साथ ही, यह निर्णय पार्टी की ‘सभी क्षेत्रों और समुदायों को प्रतिनिधित्व’ देने की नीति के अनुरूप भी है।
बीजेपी जानती है कि विपक्ष उप राष्ट्रपति चुनाव में एकता दिखाने की कोशिश करेगा। ऐसे में एक ऐसा उम्मीदवार लाना जरूरी था, जिसका विरोध करना विपक्ष के लिए नैतिक और सामाजिक रूप से कठिन हो। राधाकृष्णन की सादगी, गरिमा और लंबा सार्वजनिक जीवन उन्हें एक सर्वमान्य उम्मीदवार बनाता है। इससे बीजेपी को एक नैतिक बढ़त मिलती है और विपक्ष पर दबाव भी बनता है।