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नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन अब सरकार विरोधी आंदोलन बन गया है। हिंसा में 21 लोगों की मौत और सैकड़ों घायल हुए हैं। भारत ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए सतर्क रहने की अपील की है।
भारत ने जारी की एडवाइजरी
New Delhi: नेपाल इन दिनों जबरदस्त राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के विरोध में शुरू हुआ युवा आंदोलन अब व्यापक राजनीतिक असंतोष और भ्रष्टाचार विरोधी जनआंदोलन का रूप ले चुका है। बीते तीन दिनों में विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया है, जिसमें अब तक 21 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है और 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं। तेज होती हिंसा, प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच लगातार झड़पों के बीच अब भारत सरकार ने भी स्थिति को गंभीर मानते हुए मंगलवार को नेपाल को लेकर आधिकारिक एडवाइजरी जारी की है। विदेश मंत्रालय ने नेपाल में रह रहे भारतीय नागरिकों से सावधानी बरतने और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की है।
सब कुछ शुरू हुआ सोमवार को, जब ओली सरकार ने सोशल मीडिया की 26 साइट्स पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। सरकार का कहना था कि ये प्लेटफॉर्म "फेक न्यूज और सामाजिक अस्थिरता" फैला रहे हैं। लेकिन इस फैसले को जनता, खासकर 18 से 30 वर्ष की आयु के युवाओं ने अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला माना और देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। शुरुआती विरोध प्रदर्शन काठमांडू विश्वविद्यालय, त्रिभुवन विश्वविद्यालय, पोखरा, बिराटनगर, जनकपुर जैसे प्रमुख शहरों में केंद्रित रहे, लेकिन जल्द ही यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया।
नेपाल में बेकाबू हुआ युवा आंदोलन
सरकार ने जब आंदोलन की तीव्रता देखी, तो मंगलवार को सोशल मीडिया पर से प्रतिबंध हटा लिया। परंतु तब तक मामला सिर्फ इंटरनेट की आजादी से आगे बढ़ चुका था। अब युवाओं का कहना है कि उनका आंदोलन सरकार की नीतियों, भ्रष्टाचार और लोकतंत्र के हनन के खिलाफ है। प्रदर्शनकारियों ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा, “अब ये लड़ाई सिर्फ फेसबुक या ट्विटर के लिए नहीं है, ये लड़ाई स्वतंत्रता, पारदर्शिता और न्याय के लिए है।”
इस्तीफों से हिला नेपाल: सोशल मीडिया बैन बना राजनीतिक संकट का कारण, विरोध के बीच गिर सकती है सरकार
मंगलवार को भारत सरकार ने नेपाल के हालात को देखते हुए एडवाइजरी जारी की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत नेपाल में हो रही घटनाओं पर नजर रखे हुए है, और प्रदर्शन में मारे गए लोगों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की है। विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि हम नेपाल की मौजूदा स्थिति से दुखी हैं। हमने कई युवाओं की जान जाते देखी है। हमारी संवेदनाएं मृतकों के परिवारों के साथ हैं और हम घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं। भारत ने नेपाल के सभी पक्षों से शांति, संयम और संवाद के जरिए समाधान निकालने की अपील की है।
नेपाल की राजधानी काठमांडू, साथ ही बिराटनगर, पोखरा, ललितपुर में हालात सबसे ज्यादा तनावपूर्ण हैं। हिंसा को रोकने के लिए कर्फ्यू लगाया गया है, मोबाइल इंटरनेट सेवाएं ठप हैं और सुरक्षाबलों को अत्यधिक बल प्रयोग करने के आदेश दिए गए हैं। प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछारें, आंसू गैस, लाठीचार्ज और कई जगहों पर सीधे फायरिंग के भी आरोप लगे हैं।
सोशल मीडिया बैन से उपजे इस आंदोलन ने नेपाल सरकार की राजनीतिक नींव को भी हिला कर रख दिया है। बीते दो दिनों में गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी और स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है।
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