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वर्ल्ड एड्स डे हर साल 1 दिसंबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य एड्स के बारे में जागरूकता फैलाना और इसके इलाज के प्रयासों को बढ़ाना है। 2025 की थीम “Overcoming disruption, transforming the AIDS response” एड्स के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में सुधार और एकजुटता की आवश्यकता को बताती है।
वर्ल्ड एड्स डे
New Delhi: एड्स के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 1 दिसंबर को मनाया जाता है वर्ल्ड एड्स डे। यह दिन इस खतरनाक बीमारी के बारे में लोगों को जानकारी देने, इसके कलंक को मिटाने और इसके इलाज के प्रयासों को बेहतर बनाने के लिए मनाया जाता है। एड्स (Acquired Immunodeficiency Syndrome) एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज अभी तक संभव नहीं है, और यह व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को इतना कमजोर कर देता है कि मामूली इन्फेक्शन से भी व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है।
एड्स के बारे में जागरूकता की कमी और इससे जुड़े मिथकों ने समाज में इसे एक डरावनी और गंभीर बीमारी बना दिया था। लोग इसके बारे में सही जानकारी न होने की वजह से इससे डरते थे और इसके मरीजों से भेदभाव करते थे। इस स्थिति को बदलने और एड्स के बारे में सही जानकारी फैलाने के लिए, जेम्स डब्ल्यू. बुन और थॉमस ने एक वैश्विक जागरूकता दिवस मनाने का विचार रखा था। इनकी पहल ने 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे के रूप में एक खास दिन के रूप में आकार लिया।
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1988 में पहली बार 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। इसके पीछे एक प्रमुख कारण यह था कि यह तारीख चुनावों और क्रिसमस की छुट्टियों से दूर थी, जिससे अधिक लोगों का ध्यान इस दिन पर आकर्षित किया जा सकता था। 1 दिसंबर को चुने जाने से एड्स के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाने का अवसर मिला। 1996 में इस दिन के आयोजन की जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र के विशेष संगठन यूएनएड्स (UNAIDS) ने संभाल ली। तब से, यूएनएड्स हर साल इस दिन के लिए एक खास थीम तय करता है, जो एड्स से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों को दिशा देती है।
इस साल वर्ल्ड एड्स डे की थीम है: "Overcoming disruption, transforming the AIDS response"। यह थीम विशेष रूप से 2030 तक एड्स को खत्म करने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए चुनी गई है। इसका संदेश है कि जब तक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, शिक्षा और अवसरों की खाई बनी रहेगी, तब तक एड्स के प्रसार को रोक पाना मुश्किल होगा। इस थीम के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि समाज को एड्स के खिलाफ अधिक सक्रिय और प्रभावी प्रयास करने की जरूरत है।
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एड्स के खिलाफ संघर्ष में स्वास्थ्य सेवाओं की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है। दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को सुनिश्चित करना, दवाओं का सही समय पर वितरण, और लोगों को एड्स के बारे में सही जानकारी देना आवश्यक है। एड्स के इलाज में एंटी-रेट्रोवायरल (ARV) दवाओं का उपयोग किया जाता है, जो वायरस के विकास को रोकने में मदद करती हैं। इसके अलावा, HIV संक्रमित लोगों को नियमित जांच और देखभाल की आवश्यकता होती है।
वर्ल्ड एड्स डे न केवल एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने का एक मौका है, बल्कि यह भी लोगों को एड्स से जुड़ी गलत धारणाओं और कलंक को हटाने की दिशा में काम करता है। एड्स के प्रति समाज की सोच और मानसिकता में बदलाव लाना बेहद जरूरी है। इससे न केवल एड्स के मरीजों के साथ सहानुभूति और सहयोग बढ़ेगा, बल्कि इसके इलाज में भी नई संभावनाएं खुलेंगी।
आज के समय में एड्स का इलाज पूरी तरह संभव नहीं है, लेकिन अगर हम एड्स के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एकजुट हो जाएं, तो इस महामारी को नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए, विश्व एड्स दिवस एक महत्त्वपूर्ण दिन है, जो हमें इस जानलेवा बीमारी के खिलाफ संघर्ष को तेज करने के लिए प्रेरित करता है। हमें एड्स के मरीजों के साथ भेदभाव को खत्म करना होगा और उनके लिए एक सहायक और सहानुभूतिपूर्ण समाज बनाना होगा।
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