

जम्मू-कश्मीर के लिदवास में हुए ‘ऑपरेशन महादेव’ की सफलता के पीछे चार जांबाज एजेंसियों की जबरदस्त तालमेल और रणनीति रही। इस ऑपरेशन में तीन आतंकवादी ढेर किए गए, जिनमें पहलगाम नरसंहार का मास्टरमाइंड भी शामिल था। जानिए कौन थे वो वीर, जिन्होंने यह मिशन सफल किया।
भारतीय सेना (Img: Google)
New Delhi: जम्मू-कश्मीर के लिडवास क्षेत्र में 28 जुलाई को भारतीय सुरक्षा बलों ने एक सटीक और साहसिक आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसे ‘ऑपरेशन महादेव’ नाम दिया गया। इस मिशन में तीन खूंखार आतंकवादियों को ढेर किया गया, जिनमें पहलगाम के बायसारन नरसंहार का मुख्य साजिशकर्ता हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान शाह भी शामिल था। इस ऑपरेशन में चार प्रमुख एजेंसियों — 24 राष्ट्रीय राइफल्स (24 RR), 4 पैरा, जम्मू-कश्मीर पुलिस (JKP) और सीआरपीएफ (CRPF) ने मिलकर अद्भुत समन्वय दिखाया।
कौन हैं ऑपरेशन महादेव के जांबाज?
1. 24 राष्ट्रीय राइफल्स (24 RR)
भारतीय सेना की इस विशेष इकाई का गठन विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से निपटने के लिए किया गया है। इनकी घेराबंदी की तकनीक, जमीनी खुफिया जानकारी और जंगल युद्ध में अनुभव इस ऑपरेशन की रीढ़ साबित हुए। 24 RR ने लगातार 14 दिनों तक दाचीगाम क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया।
2. 4 पैरा स्पेशल फोर्सेस
भारतीय सेना की विशेष बल इकाई, 4 पैरा को रात में छिपकर कार्रवाई करने और दुश्मन पर सटीक वार करने में महारत हासिल है। इस ऑपरेशन में उन्होंने आतंकियों के कैंप को ट्रेस किया और चुपके से हमला कर उन्हें मौके पर ढेर कर दिया।
3. जम्मू-कश्मीर पुलिस (JKP)
स्थानीय खुफिया तंत्र और क्षेत्र की गहराई से जानकारी रखने वाली JKP ने ऑपरेशन की खुफिया नींव रखी। उन्होंने संदिग्ध कम्युनिकेशन इंटरसेप्ट किया और स्थानीय बकरवालों से मिली सूचना को केंद्रीय एजेंसियों तक पहुंचाया।
4. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)
सीआरपीएफ ने ऑपरेशन के दौरान बाहरी सुरक्षा घेरा, इलाके की निगरानी और संचार सहायता प्रदान की, जिससे ऑपरेशन बिना किसी रुकावट के सफलतापूर्वक पूरा हुआ।
मास्टरमाइंड तक कैसे पहुंची सेना?
11 जुलाई को एक चीनी सैटेलाइट फोन की गतिविधि बैसारन में पाई गई। यह फोन उसी नेटवर्क से जुड़ा था जिसका उपयोग 22 अप्रैल के हमले में किया गया था।
26 जुलाई को फिर उसी डिवाइस से संकेत मिले जो दाचीगाम के जंगलों से आ रहे थे।
स्थानीय खानाबदोशों ने बताया कि कुछ लोग पिछले कुछ दिनों से जंगल में डेरा डाले हुए हैं।
इसके बाद ड्रोन सर्विलांस, थर्मल इमेजिंग और टेक्निकल इंटेलिजेंस की मदद से आतंकियों की सही लोकेशन तय की गई।
28 जुलाई सुबह 11:30 बजे, 4 पैरा की टीम ने टेंट को घेरा और आतंकियों पर धावा बोल दिया।
मारे गए आतंकियों की पहचान
हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान शाह: पाकिस्तान सेना का पूर्व पैरा-कमांडो, जो बाद में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा। पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड।
जिबरान: सोनमर्ग टनल हमले (2023) में वांछित।
अबू हमजा: घाटी में विस्फोटक और ग्रेनेड हमलों में सक्रिय भूमिका।
क्या था ऑपरेशन महादेव में खास?
टीमवर्क: सभी चार एजेंसियों ने अभूतपूर्व समन्वय दिखाया।
तकनीक का इस्तेमाल: सैटेलाइट फोन ट्रैकिंग, थर्मल डिटेक्शन और ड्रोन सर्विलांस ने बड़ी भूमिका निभाई।
सटीक रणनीति: 4 पैरा की चुपके से की गई घेराबंदी और कार्रवाई ने आतंकियों को भागने का मौका नहीं दिया।
क्या है 'ऑपरेशन महादेव' कोड नेम के पीछे की कहानी
श्रीनगर में आतंकवाद के खिलाफ चलाए गए हालिया सैन्य अभियान को ‘ऑपरेशन महादेव’ का नाम दिया गया, जो केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक प्रतीक है। यह कोड नेम श्रीनगर के न्यू थीड क्षेत्र के पास स्थित प्रसिद्ध ‘महादेव पीक’ (महादेव चोटी) से प्रेरित है, जो जबरवान पर्वतमाला का हिस्सा है।
महादेव चोटी सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऊंचाई पर स्थित होने के कारण लिडवास और मुलनार जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर निगरानी रखने की उपयुक्त स्थिति प्रदान करती है। इसके अलावा, इस चोटी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी गहरा है। स्थानीय लोग इसे पवित्र स्थल मानते हैं और यह ट्रेकिंग प्रेमियों के बीच भी बेहद लोकप्रिय है।