NISAR क्या है? NASA और ISRO ने मिलकर बनाया आसमान का Super Hero, जानिए कैसे बदल देगा दुनिया

NISAR केवल एक सैटेलाइट नहीं, बल्कि धरती की आंख है- जो हर हरकत को दर्ज करेगा। यह मिशन भविष्य में आपदाओं से बचाव, जलवायु परिवर्तन की समझ और टिकाऊ विकास के रास्ते को वैज्ञानिक आधार देगा। 30 जुलाई 2025 का यह लॉन्च भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 25 July 2025, 1:10 PM IST
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New Delhi: भारत और अमेरिका के ऐतिहासिक अंतरिक्ष सहयोग की सबसे बड़ी उपलब्धि अब गिनती के दिनों में है। 30 जुलाई 2025 को शाम 5:30 बजे NASA और ISRO द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F16 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा। यह सैटेलाइट न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। बल्कि आपदा प्रबंधन, कृषि, जल संसाधन और जलवायु परिवर्तन की निगरानी के लिए भी भारत और पूरी दुनिया के लिए गेम-चेंजर साबित होगा।

क्या है NISAR मिशन?

NISAR एक अत्याधुनिक अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है, जिसे NASA और ISRO ने मिलकर बनाया है। यह दुनिया का पहला ऐसा उपग्रह है जो दोहरी रडार फ्रीक्वेंसी (L-बैंड - NASA, S-बैंड - ISRO) का उपयोग करता है। जिससे यह किसी भी मौसम या समय में धरती की सतह की 1 सेंटीमीटर तक की हलचल को ट्रैक कर सकता है।

मुख्य विशेषताएं

वजन: 2,392 किलो
ऑर्बिट ऊंचाई: 743 किमी (Sun-synchronous orbit)
मिशन अवधि: कम से कम 3 साल
स्कैनिंग रेंज: 242 किमी चौड़ाई में हाई-रेजोल्यूशन स्कैन
डेटा आउटपुट: रोजाना 85 टेराबाइट डेटा
लागत: करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये (अब तक का सबसे महंगा पृथ्वी निगरानी मिशन)
टेक्नोलॉजी: SweepSAR, Synthetic Aperture Radar
एंटीना: 12 मीटर का मेश एंटीना (जैसे बड़ा छाता)

कैसे काम करता है NISAR?

NISAR में लगे Synthetic Aperture Radar (SAR) रेडियो तरंगों का उपयोग करके तस्वीरें बनाते हैं। यह सामान्य कैमरों की तुलना में बेहतर है क्योंकि यह बादलों, अंधेरे और धुंध में भी स्पष्ट देख सकता है। साथ में 24x7 हर मौसम में डेटा भेज सकता है।

NISAR किन क्षेत्रों में मदद करेगा?

  1. भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन और सुनामी की पहले से चेतावनी
  2. हिमालय और अंटार्कटिका में बर्फ की निगरानी
  3. समुद्र स्तर में बदलाव की भविष्यवाणी
  4. जंगलों की कटाई और वनस्पति परिवर्तनों पर नजर
  5. फसलों की सेहत, मिट्टी की नमी और सिंचाई की योजना में मदद
  6. सूखा प्रभावित इलाकों में सटीक जल प्रबंधन
  7. बाढ़, तूफान या जंगल की आग में रियल-टाइम डेटा के जरिए बचाव कार्यों में मदद

NISAR का सफर कैसे रहा?

  • 2014: ISRO-NASA ने समझौता किया
  • 2022: लॉन्च की योजना थी, पर तकनीकी देरी हुई
  • 2024: NASA का कार्गो प्लेन सैटेलाइट को भारत लाया
  • जनवरी 2025: सभी टेस्ट पूरे हुए
  • अब: GSLV-F16 से लॉन्च के लिए पूरी तरह तैयार

भारत के लिए क्यों अहम है NISAR?

  1. हिमालयी क्षेत्रों में आपदाओं की सटीक चेतावनी
  2. कृषि नीति और सिंचाई योजनाओं में सुधार
  3. जलवायु परिवर्तन के खतरे को पहचानने में अग्रणी कदम
  4. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रतिष्ठा में इजाफा

खास बात

NISAR से आने वाला सारा डेटा मुफ्त और सार्वजनिक होगा। इसका लाभ सरकार, वैज्ञानिक संस्थान, आपदा राहत एजेंसियां और आम नागरिक भी उठा सकेंगे। यह 1.25 लाख करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट देश की सबसे महंगी वैज्ञानिक परियोजनाओं में से एक है।

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