

भारत के आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव ने आम तौर पर शांत माने जाने वाले संवैधानिक चुनाव को एक बार फिर सियासी गर्मी से भर दिया है। एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और वरिष्ठ नेता सीपी राधाकृष्णन को मैदान में उतारा है, जबकि विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है। दोनों दक्षिण भारत से आते हैं, जिससे यह मुकाबला दिलचस्प और प्रतीकात्मक बन गया है।
इस बार दक्षिण बनाम दक्षिण की होगी टक्कर
New Delhi: उपराष्ट्रपति पद के लिए इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प होता जा रहा है। एनडीए ने तमिलनाडु के वरिष्ठ भाजपा नेता और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है। उनके मुकाबले विपक्षी गठबंधन इंडिया (I.N.D.I.A.) ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी को खड़ा किया है। जो आंध्र प्रदेश से आते हैं। इस प्रकार यह चुनाव न केवल राजनीतिक बल्कि क्षेत्रीय संतुलन के लिहाज़ से भी चर्चा का विषय बन गया है।
भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव आमतौर पर एक शांत, औपचारिक और संवैधानिक प्रक्रिया होती है। लेकिन इस बार दोनों प्रमुख गठबंधनों के बीच सीधी टक्कर के कारण चुनाव ने एक राजनीतिक मोड़ ले लिया है।
• दोनों उम्मीदवार गैर-राजनीतिक विवादों से दूर रहे हैं।
• दोनों की प्रशासनिक और न्यायिक पृष्ठभूमि मजबूत है।
• दोनों ही उम्मीदवार दक्षिण भारत से हैं, जो क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
उपराष्ट्रपति चुनावों के पिछले आंकड़े बताते हैं कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी का उम्मीदवार अक्सर भारी अंतर से जीतता रहा है। खासकर 2014 के बाद, जब भाजपा केंद्र में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई, उसके बाद हुए दोनों चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों ने बंपर जीत दर्ज की।
इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 782 सांसद वोट डालने के लिए पात्र हैं। इनमें से जीत के लिए जरूरी न्यूनतम वोट 392 हैं। एनडीए के पास लोकसभा में 293 सदस्य और राज्यसभा में 133 सदस्य जिसके साथ कुल लगभग 426 सांसदों का साथ है। यह आंकड़ा बहुमत से अधिक है। यदि क्रॉस-वोटिंग नहीं होती, तो एनडीए की जीत लगभग तय मानी जा रही है। हालांकि विपक्ष ने यह चुनाव सिर्फ जीत के लिए नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश देने के लिए लड़ा है।