सुप्रीम कोर्ट का आदेश: दिल्ली-NCR में बेघर कुत्तों को शेल्टर में भेजने पर हंगामा, सुरक्षित रखा फैसला

दिल्ली-NCR में बेघर कुत्तों को शेल्टर होम भेजने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विवाद बढ़ गया है। दिल्ली सरकार ने कुत्तों के हमलों को लेकर सुरक्षा की चिंता जताई, जबकि याचिकाकर्ताओं ने कुत्तों को सड़कों से उठाने पर रोक लगाने की मांग की। कोर्ट ने फैसले के विभिन्न हिस्सों पर आपत्ति पर विचार करते हुए मामला स्थगित कर दिया और समाधान की जरूरत जताई।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 14 August 2025, 11:52 AM IST
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New Delhi: दिल्ली-NCR में बेघर कुत्तों (Stray Dogs) को शेल्टर होम में भेजने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर विवाद और हंगामा खड़ा हो गया है। कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने सुनवाई की। इस मामले में दिल्ली सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में दलील दी कि कुत्तों के हमले से बच्चों की मौत हो रही है और नसबंदी के बावजूद कुत्तों के हमले की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है।

सॉलिसिटर जनरल का बयान

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, "कुत्तों के हमले से बच्चों की जान जा रही है। नसबंदी के बावजूद कुत्तों के हमले की घटनाएं जारी हैं। हम सिर्फ यह चाहते हैं कि कुत्तों को इंसानी आबादी से अलग किया जाए, ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।" उन्होंने यह भी कहा कि "हम किसी भी कुत्ते को मारने की बात नहीं कर रहे हैं, बस उन्हें अलग करने की जरूरत है।" मेहता ने यह भी कहा कि लोगों को अब बच्चों को बाहर भेजने में डर लगने लगा है और सरकार इस समस्या का समाधान चाहती है। मेहता ने यह भी टिप्पणी की कि "किसी भी देश में दो पक्ष होते हैं: एक है जो आवाज़ उठाता है और दूसरा चुपचाप सहता रहता है। यहां पर वह वोकल माइनॉरिटी है जो पशु प्रेमी बन गई है, जबकि शेष लोग कुत्तों से होने वाली समस्याओं को झेल रहे हैं।"

कपिल सिब्बल ने उठाए कुत्तों को शेल्टर में रखने पर सवाल

इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने अदालत से सवाल किया, "अगर कुत्तों को नसबंदी के बाद सड़कों पर छोड़ा नहीं जाएगा तो उन्हें शेल्टर होम में कहा रखा जाएगा? क्या वहां उन्हें साथ रखने से वे आपस में एक-दूसरे पर हमला नहीं करेंगे?" सिब्बल का यह भी कहना था कि एक बड़ी संख्या में कुत्तों को शेल्टर में रखने पर यह समस्या और बढ़ सकती है और इंसान भी प्रभावित हो सकते हैं। सिब्बल ने यह भी आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला गुरुवार शाम को अपलोड किया गया था, लेकिन उस दिन से ही प्रशासन ने सड़कों से कुत्तों को उठाना शुरू कर दिया। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि प्रशासन ने बिना अदालत के आदेश के कुत्तों को कैसे उठाना शुरू कर दिया।

कुत्तों को सड़कों से उठाने पर रोक की मांग

सिब्बल ने कोर्ट से यह भी कहा कि फिलहाल कुत्तों को सड़कों से उठाने पर रोक लगाई जाए और याचिकाकर्ताओं को जवाब देने के लिए कुछ समय दिया जाए। इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से हलफनामा दायर करने को कहा और मामले की आगे की सुनवाई के लिए कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

कोर्ट का रुख

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट किया कि वह इस फैसले को जल्द बंद नहीं करेंगे। कोर्ट ने कहा, "हम सिर्फ यह देखेंगे कि फैसले के किन हिस्सों पर आपत्ति है और क्या उन पर रोक लगानी चाहिए। हमें समाधान की ओर बढ़ने की आवश्यकता है, ना कि विवाद को बढ़ाना चाहिए।" कोर्ट ने यह भी कहा कि यह एक गंभीर मामला है और समाधान निकाला जाना चाहिए।

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