

पाकिस्तान के पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं तेज़ी से बढ़ रही हैं, जो उत्तर भारत में वायु गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं। पीयू-पीजीआई चंडीगढ़ की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि आने वाले दिनों में वृद्धि हो सकती है।
धड़ल्ले से जल रही पराली
Chandigarh: पाकिस्तान के पंजाब में इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि देखने को मिल रही है, और अब तक 3472 मामले सामने आ चुके हैं। इसके विपरीत, भारतीय पंजाब में इस साल पराली जलाने के केवल 471 मामले रिपोर्ट किए गए हैं। इस दौरान हरियाणा में भी पराली जलाने के 281 मामले सामने आए हैं। पीयू और पीजीआई चंडीगढ़ की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं का असर अब पूरे उत्तर भारत की वायु गुणवत्ता पर पड़ने लगा है।
वर्ष 2023 की तुलना में भारतीय पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में गिरावट आई है। 1 सितंबर से 20 अक्टूबर तक की रिपोर्ट में यह पाया गया कि भारतीय पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 58 प्रतिशत कमी आई है, जबकि हरियाणा में 65 प्रतिशत मामलों में कमी आई है।
हालांकि, पाकिस्तान के पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं अधिक बढ़ी हैं, जो आने वाले दिनों में उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रदूषण का कारण बन सकती हैं।
धड़ल्ले से जल रही पराली
2024 में दिवाली के दिन (20 अक्टूबर) पर पंजाब में 200, हरियाणा में 61 और पाकिस्तान के पंजाब में 1750 स्थानों पर पराली जलाने की घटनाएं रिपोर्ट की गईं। हालांकि, पाकिस्तान के पंजाब में पराली जलाने के मामलों में अधिक वृद्धि देखी गई है।
पिछले सालों से तुलना करें तो दिवाली के दिन इस साल पराली जलाने के मामले भारतीय पंजाब और हरियाणा में कम हुए हैं, लेकिन पाकिस्तान पंजाब में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
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पीजीआई चंडीगढ़ के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. रविंद्र खैवाल ने चेतावनी दी है कि धान की कटाई के बाद पराली जलाने के मामलों में वृद्धि हो सकती है। पाकिस्तान पंजाब में पराली जलाने के मामलों में वृद्धि का असर भारत के उत्तर क्षेत्र में पड़ सकता है। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह और नवंबर के पहले सप्ताह में हर बार वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है और इस बार भी ऐसी स्थिति बनने की संभावना है।
पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) और पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआई) चंडीगढ़ की टीम ने सैटेलाइट के माध्यम से पराली जलाने के मामलों की निगरानी करना शुरू कर दिया है। विभागीय टीमें उन मामलों पर नजर रख रही हैं जो प्रशासन के ध्यान में नहीं आए हैं। इस डेटा का इस्तेमाल वायु गुणवत्ता और प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों की योजना बनाने के लिए किया जाएगा।
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अक्टूबर और नवंबर में पराली जलाने के मामलों की वृद्धि से वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच सकता है। हर साल इस दौरान उत्तर भारत में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है, और इस साल भी ऐसा ही होने की आशंका जताई जा रही है। इस समय में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, और अन्य उत्तरी राज्य बेहद खतरनाक वायु गुणवत्ता के शिकार होते हैं, जिससे लोगों को सांस की बीमारियां और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।