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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लिया है। नर्सरी से कक्षा पांचवीं तक के छात्रों के लिए स्कूल फिजिकल मोड में बंद कर दिए गए हैं। यह आदेश अगली सूचना तक लागू रहेगा।
प्रदूषण की मार
New Delhi: राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण ने अब जनजीवन के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई को भी बुरी तरह प्रभावित करना शुरू कर दिया है। जहरीली हवा और गंभीर श्रेणी में पहुंच चुके एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) को देखते हुए दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लेते हुए नर्सरी से कक्षा पांचवीं तक के सभी स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी किए हैं।
दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। मौसम में बदलाव, ठंडी हवाओं की कमी, पराली जलाने और वाहनों के धुएं के चलते राजधानी की हवा गंभीर से बेहद गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है। सुबह के समय कई इलाकों में दृश्यता बेहद कम हो गई है और लोगों को आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ और गले में खराश जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्तर का प्रदूषण बच्चों और बुजुर्गों के लिए सबसे अधिक खतरनाक होता है।
प्रदूषण की भयावह स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है कि नर्सरी से कक्षा 5 तक के छात्र स्कूल नहीं आएंगे। यह आदेश सभी प्रकार के स्कूलों सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी पर समान रूप से लागू होगा। हालांकि यह स्पष्ट किया गया है कि यह बंदी केवल फिजिकल मोड में पढ़ाई के लिए है। स्कूल प्रशासन चाहे तो ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई जारी रख सकता है, ताकि छात्रों की शैक्षणिक गतिविधियां पूरी तरह बाधित न हों।
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि कक्षा 6 और उससे ऊपर की कक्षाएं पहले से जारी निर्देशों के अनुसार चलती रहेंगी। इन कक्षाओं के लिए फिलहाल स्कूल बंद करने का कोई आदेश नहीं दिया गया है। हालांकि स्कूलों को सलाह दी गई है कि वे छात्रों की सेहत पर विशेष ध्यान रखें और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त सावधानियां बरतें। खुले में होने वाली गतिविधियों को सीमित करने और मास्क के उपयोग को बढ़ावा देने के निर्देश भी दिए गए हैं।
शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को निर्देशित किया है कि वे इस आदेश की जानकारी तुरंत अभिभावकों तक पहुंचाएं। किसी भी प्रकार की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा। स्कूल प्रबंधन को यह सुनिश्चित करना होगा कि छोटे बच्चों को प्रदूषित वातावरण में स्कूल आने के लिए मजबूर न किया जाए और उनके स्वास्थ्य से कोई समझौता न हो।
डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चों के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते, ऐसे में प्रदूषित हवा उनके लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। लंबे समय तक खराब हवा में रहने से बच्चों में अस्थमा, एलर्जी और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।