लाल किले से पीएम मोदी ने किया ये बड़ा ऐलान, दे दिया ममता बनर्जी के आरोपों का जवाब या वजह कुछ और…पढ़ें पूरी खबर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने संबोधन में देश की बदलती जनसांख्यिकी को एक सुनियोजित साजिश बताया और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया। उन्होंने अवैध घुसपैठियों के कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए “उच्चस्तरीय जनसांख्यिकी मिशन” की घोषणा की।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 15 August 2025, 2:44 PM IST
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New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को देश की 79वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से एक अहम और बहुचर्चित घोषणा की। अपने 103 मिनट लंबे ऐतिहासिक भाषण में उन्होंने न केवल विकास, विज्ञान और राष्ट्रीय उपलब्धियों की बात की, बल्कि देश के सामने मौजूद एक गंभीर खतरे- जनसांख्यिकीय बदलाव की साजिश की ओर भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह खतरा अब सिर्फ सांस्कृतिक या सामाजिक नहीं, बल्कि सीधी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चुनौती बन चुका है।

‘देश की जनसंख्या संरचना बदलने की साजिश चल रही है’

पीएम मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा, “मैं देश को एक चिंता, एक चुनौती के प्रति सचेत करना चाहता हूं। एक सोची-समझी साजिश के तहत देश की जनसंख्या संरचना को बदला जा रहा है और एक नए संकट के बीज बोए जा रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि इन घुसपैठियों की वजह से देश के युवाओं की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है। “ये घुसपैठिए हमारी बहनों-बेटियों को निशाना बना रहे हैं, आदिवासियों को गुमराह कर उनकी जमीनें हड़प रहे हैं,” पीएम मोदी ने कहा। उन्होंने इसे सीधे-सीधे देश की अखंडता और सामाजिक संतुलन के लिए एक खतरनाक साजिश बताया।

जनसांख्यिकी बदलाव को जोड़ा राष्ट्रीय सुरक्षा से

प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसांख्यिकी परिवर्तन अब एक राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न बन गया है। यह न सिर्फ स्थानीय स्तर पर असंतुलन पैदा करता है, बल्कि सामाजिक संघर्ष और संघर्ष के बीज भी बोता है। उनके अनुसार, कोई भी संप्रभु राष्ट्र घुसपैठियों के आगे आत्मसमर्पण नहीं करता, इसलिए भारत को भी इस चुनौती के सामने कड़ा रुख अपनाना होगा।

‘उच्चस्तरीय जनसांख्यिकी मिशन’ का ऐलान

पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान "उच्चस्तरीय जनसांख्यिकी मिशन" शुरू करने की औपचारिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह मिशन भारत के खिलाफ रची जा रही जनसांख्यिकीय साजिशों की पहचान करेगा, उनका अध्ययन करेगा और फिर प्रभावी रणनीति बनाकर उससे निपटेगा। यह मिशन सीमावर्ती इलाकों, घुसपैठ प्रभावित जिलों, और सामाजिक-सांस्कृतिक असंतुलन झेल रहे क्षेत्रों पर विशेष रूप से फोकस करेगा। हालांकि इस मिशन का विस्तृत खाका अभी सरकार द्वारा सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि यह मिशन सुरक्षा एजेंसियों, जनगणना विभाग और राज्य सरकारों के सहयोग से क्रियान्वित किया जाएगा।

ममता बनर्जी के आरोपों पर परोक्ष जवाब?

प्रधानमंत्री की इस घोषणा को राजनीतिक विश्लेषक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा केंद्र पर लगाए गए हालिया आरोपों का परोक्ष जवाब भी मान रहे हैं। दरअसल, कुछ समय पहले दिल्ली पुलिस ने एक दस्तावेज को बांग्लादेशी भाषा में लिखा हुआ बताते हुए कार्रवाई की थी, जिस पर बंगाली और बांग्लादेशी के बीच एक भाषाई विवाद भी खड़ा हो गया। इस पर ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार और भाजपा पर हमला करते हुए कहा था कि यह सब बंगालियों के खिलाफ सुनियोजित द्वेष फैलाने की साजिश है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार घुसपैठियों की आड़ में बंगाल की अस्मिता को निशाना बना रही है।

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