

15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। जहां एक समय 1 रुपये में पूरा हफ्ता चला करता था, वहीं आज यह महज एक सिक्के जैसा प्रतीक बन चुका है। जानिए बीते 79 वर्षों में कैसे बदली भारत की अर्थव्यवस्था, कीमतें और आम जनजीवन।
भारत की अर्थव्यवस्था का लंबा सफर
New Delhi: भारत ने 15 अगस्त, 1947 को जब अंग्रेजों से आज़ादी हासिल की थी, तब न सिर्फ राजनीतिक तौर पर बल्कि आर्थिक रूप से भी देश एक नए युग में प्रवेश कर रहा था। उस दौर की भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि-प्रधान थी और आधुनिक उद्योगों का विकास बहुत सीमित था। लेकिन आज 79 सालों बाद भारत नॉमिनल जीडीपी के आधार पर 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन चुका है और विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी जगह बना चुका है।
1947 में 1 रुपये में चलता था पूरा हफ्ता
आज के समय में 1 रुपये से शायद ही कोई ज़रूरी वस्तु खरीदी जा सकती है, लेकिन 1947 में हालात कुछ और ही थे। उस समय 1 रुपये में एक आम परिवार अपना पूरा हफ्ता चला लेता था। खाने-पीने की चीजों के दाम इतने कम थे कि 12 पैसे में एक लीटर दूध, 2.5 रुपये में एक किलो शुद्ध घी और 40 पैसे प्रति किलो चीनी मिल जाती थी। आलू 25 पैसे प्रति किलो के हिसाब से बिकता था, जबकि 1 रुपये में कई किलो गेहूं खरीदे जा सकते थे। सयानी उस दौर में महंगाई का नामोनिशान तक नहीं था। लेकिन जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था बढ़ी और आमदनी बढ़ी, महंगाई ने भी रफ्तार पकड़ी।
पुराने सिक्कों का दौर खत्म
आज जिन सिक्कों का हम शायद ही इस्तेमाल करते हैं, वे कभी भारत की आर्थिक प्रणाली का अहम हिस्सा हुआ करते थे। 1947 में 'आना', 'पाइस' और 'पाई' जैसे सिक्के आम चलन में थे। धीरे-धीरे ये सिक्के बंद कर दिए गए। 2025 तक भी कुछ सीमित जगहों पर 50 पैसे का सिक्का वैध माना जाता था, लेकिन अब वह भी लगभग पूरी तरह चलन से बाहर हो गया है। बदलते समय के साथ-साथ मुद्रा का यह रूप भी बदल गया है और डिजिटल लेनदेन की ओर देश तेजी से बढ़ा है।
सोने की कीमत में 1000 गुना से ज्यादा का इजाफा
1947 में जब भारत आजाद हुआ, तब 10 ग्राम सोने की कीमत लगभग 88 रुपये थी। आज यही सोना 60,000 से 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास पहुंच चुका है। सोने की कीमतों में यह उछाल केवल महंगाई का परिणाम नहीं है, बल्कि इसके पीछे वैश्विक आर्थिक परिस्थितियाँ, भू-राजनीतिक तनाव, विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति और सरकार की नीतियाँ भी जिम्मेदार हैं। 1990 के दशक में जब भारत ने आर्थिक उदारीकरण की राह अपनाई, तब से लेकर अब तक सोने के दाम लगातार ऊपर ही जा रहे हैं।
सिर्फ 140 रुपये में उड़ान और 27 पैसे में पेट्रोल
1947 में परिवहन का खर्च भी बेहद कम हुआ करता था। अगर बात की जाए हवाई यात्रा की, तो दिल्ली से मुंबई की फ्लाइट का किराया मात्र 140 रुपये के आसपास होता था। और यह भी तब, जब एयर इंडिया इकलौती एयरलाइन थी, जिसने 1936 में अपनी सेवाएं शुरू की थीं। वहीं पेट्रोल की कीमतें तो आज की तुलना में कल्पना से भी परे थीं। सिर्फ 27 पैसे प्रति लीटर। आज यह आंकड़ा 100 रुपये से ऊपर चला गया है। इससे साफ है कि बीते सात दशकों में न सिर्फ अर्थव्यवस्था बड़ी है, बल्कि महंगाई भी उसी गति से आगे बढ़ी है।