

जम्मू-कश्मीर के दाचीगाम क्षेत्र में ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत सेना ने पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड सुलेमान उर्फ आसिफ समेत लश्कर-ए-ताइबा के तीन आतंकियों को मार गिराया। अमरनाथ यात्रा के बीच हुई इस सटीक कार्रवाई में सेना को सैटेलाइट फोन से मिले सुराग के आधार पर बड़ी कामयाबी मिली। ऑपरेशन में अमेरिका निर्मित हथियार और विस्फोटक भी बरामद हुए हैं।
भारतीय सेना के जवान
New Delhi: अमरनाथ यात्रा के दौरान जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था की चुनौती के बीच भारतीय सेना को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। श्रीनगर के पास दाचीगाम वन क्षेत्र में ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत लश्कर-ए-ताइबा के तीन खूंखार आतंकियों को मार गिराया गया। इनमें पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड सुलेमान उर्फ आसिफ भी शामिल था। यह ऑपरेशन तकनीकी इंटेलिजेंस और सटीक रणनीति का बेहतरीन उदाहरण रहा।
दाचीगाम के जंगलों में घमासान
यह मुठभेड़ श्रीनगर से लगभग 25 किलोमीटर दूर दाचीगाम के ऊपरी हिस्से में लिदवास क्षेत्र में हुई। सेना की 24 राष्ट्रीय राइफल्स (RR) और 4 पैरा स्पेशल फोर्सेज ने मिलकर आतंकियों को घेर लिया। खुद को घिरा पाकर आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद दोनों ओर से करीब तीन घंटे तक भीषण गोलीबारी हुई।
मारे गए आतंकी
• सुलेमान उर्फ आसिफ- पहलगाम हमले का मुख्य साजिशकर्ता
• जिबरान- सोनमर्ग सुरंग हमले में शामिल
• हमजा अफगानी- पाकिस्तानी मूल का आतंकी
बरामद हथियार और सामग्री
मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से भारी मात्रा में हथियार और संचार उपकरण बरामद किए। जिनमें अमेरिका निर्मित M4 कार्बाइन राइफल, AK सीरीज की दो राइफलें, ग्रेनेड्स, मैगजीन, सैटेलाइट फोन और अन्य संचार डिवाइस शामिल हैं
संचार डिवाइस से मिली अहम जानकारी
सेना को इस ऑपरेशन का सुराग एक कम्युनिकेशन डिवाइस से मिला। जिसे 22 अप्रैल 2025 के पहलगाम हमले में इस्तेमाल किया गया था। जांच के दौरान जब यह डिवाइस दोबारा सक्रिय हुई, तो सुरक्षाबलों ने इसके सिग्नल्स को ट्रैक करते हुए आतंकियों के स्थान का पता लगाया।
सूचना के आधार पर हुई कार्रवाई
• दो सप्ताह से सेना सिग्नल्स पर नजर रख रही थी
• रविवार देर रात लिदवास क्षेत्र में मूवमेंट की पुष्टि हुई
• घेराबंदी कर सोमवार सुबह आतंकियों को ढेर कर दिया गया
पहलगाम हमला
22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस हमले में 26 श्रद्धालुओं की निर्मम हत्या की गई थी। आतंकियों ने लोगों से धर्म पूछकर उन्हें गोली मारी थी। एनआईए की जांच में सामने आया था कि इसमें तीन पाकिस्तानी लश्कर आतंकवादी शामिल थे। पहले से गिरफ्तार दो आतंकवादियों परवेज और बशीर अहमद ने भी पूछताछ में इन तीनों आतंकियों के नाम बताए थे- अबू हमजा उर्फ हारिस, यासिर और सुलेमान।
क्यों रखा गया नाम ‘ऑपरेशन महादेव’
यह ऑपरेशन महादेव चोटी के निकट चलाया गया, जो जबरवान रेंज का पवित्र और सामरिक दृष्टि से अहम हिस्सा है। यही वजह है कि इस मिशन को ‘ऑपरेशन महादेव’ नाम दिया गया। महादेव चोटी अमरनाथ यात्रा मार्ग का भी एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है और दाचीगाम के लिदवास और मुलनार क्षेत्र से दिखाई देती है।
आतंकियों का छिपने का पुराना ठिकाना दाचीगाम
दाचीगाम वन क्षेत्र लंबे समय से आतंकियों का छिपने का अड्डा रहा है।
• 10 नवंबर 2024: इसी क्षेत्र में मुठभेड़ के दौरान आतंकी भाग निकले थे
• 3 दिसंबर 2024: लश्कर का आतंकवादी जुनैद भट मारा गया था, जो गांदरबल सुरंग हमले में शामिल था
यह पहाड़ी और घना इलाका आतंकियों को छिपने के लिए लाभदायक रहा है, लेकिन अब सेना की लगातार मौजूदगी से यह क्षेत्र उनके लिए सुरक्षित नहीं रहा।
शहीद लेफ्टिनेंट के पिता का बयान
पहलगाम हमले में शहीद हुए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने इस ऑपरेशन पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि मैंने तभी कहा था कि हमारी सेना एक दिन आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाएगी। आज वो दिन आया। मैं सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस को सलाम करता हूं जिन्होंने यह साहसिक कार्रवाई की।
पुलिस और सेना की सतर्कता का परिणाम
इस सफल ऑपरेशन के बाद कश्मीर रेंज के आईजीपी वीके बिरदी ने कहा कि मारे गए आतंकियों की शिनाख्त के लिए शवों को नीचे लाया जा रहा है। ऊंचाई और इलाके की कठिनाई के कारण इसमें थोड़ा समय लगेगा। सेना की चिनार कोर ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए बताया कि यह ऑपरेशन अब भी जारी है, ताकि किसी और छिपे आतंकी की मौजूदगी को भी खत्म किया जा सके।