हिंदी
केंद्र सरकार ने निमोस्लाइड की 100 mg से अधिक खुराक पर रोक लगा दी है। यह कदम स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा विशेषज्ञों की सिफारिश पर लिया गया है, क्योंकि अधिक खुराक से लीवर और किडनी को गंभीर नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, यह दवा पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही थी।
निमोस्लाइड दवा पर रोक
New Delhi: केंद्र सरकार ने 29 दिसंबर को निमोस्लाइड दवा की 100 mg से अधिक खुराक पर रोक लगा दी है। यह दवा दर्द और बुखार कम करने के लिए प्रयोग की जाती है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस दवा की अधिक खुराक से लीवर और किडनी को गंभीर नुकसान हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस रोक को एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए, मरीजों में दवा के संभावित सुरक्षा जोखिमों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने 29 दिसंबर 2025 को निमोस्लाइड की 100 mg से अधिक खुराक पर रोक लगाने की अधिसूचना जारी की। यह कदम भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बाद उठाया गया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में चेतावनी दी कि अधिक खुराक से लीवर की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जो कभी-कभी जानलेवा भी हो सकती हैं। मंत्रालय ने इसे मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए एक जरूरी कदम बताया है।
निमोस्लाइड 1985 में इटली में पेश की गई थी और यह नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (NSAID) श्रेणी की दवा है, जिसे बुखार और दर्द के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इसके अधिक खुराक से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक निमोस्लाइड का उपयोग लीवर की टॉक्सिसिटी, किडनी डैमेज, ब्लीडिंग और त्वचा पर रैश जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। इस दवा का उपयोग कई देशों में प्रतिबंधित है, जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में, जहां इसे मंजूरी नहीं दी गई है।
भारत में निमोस्लाइड को 2011 में बच्चों के लिए प्रतिबंधित किया गया था, लेकिन वयस्कों के लिए इस दवा का उपयोग जारी था। 2023 में, भारतीय फार्माकोपिया कमीशन ने यह चेतावनी जारी की थी कि यह दवा "फिक्स्ड ड्रग एरप्शन" (बार-बार एक ही जगह पर रैश होना) पैदा कर सकती है। इससे स्पष्ट है कि इस दवा के लंबे समय तक उपयोग से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।
इस साल जनवरी में, केंद्र सरकार ने पशुओं में निमोस्लाइड के उपयोग पर भी रोक लगा दी थी। यह निर्णय पर्यावरण सुरक्षा के दृष्टिकोण से लिया गया था, क्योंकि यह दवा गिद्धों के लिए खतरे का कारण बन रही थी। अध्ययन से पता चला था कि अगर गायों को निमोस्लाइड दिया जाता है, तो यह गिद्धों के लिए घातक हो सकता है। 24 घंटे के भीतर गिद्धों की मृत्यु हो जाती थी, जो इस दवा के संभावित खतरनाक प्रभाव को दर्शाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि निमोस्लाइड के अधिक खुराक से लीवर और किडनी को स्थायी नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, त्वचा पर रैश, पेट में दर्द और रक्तस्राव जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, स्वास्थ्य मंत्रालय का यह कदम मरीजों के हित में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विशेषज्ञों ने सिफारिश की है कि दवा का उपयोग बहुत ही सावधानी से और निर्धारित खुराक में किया जाए।
No related posts found.