कहां है कोहिनूर की बहन? जिन लोगों का भारत में हुआ था विरोध, उस देश की तिजोरी में कैद यह बेशकीमती हीरा

दरिया-ए-नूर, जिसे कोहिनूर की बहन कहा जाता है। यह एक रहस्यमयी 26 कैरेट का हीरा है जो बांग्लादेश के सोनाली बैंक की तिजोरी में छुपा हुआ है। इसका इतिहास, मिथक और इससे जुड़ी कहानी आज भी कई अनसुलझे सवालों से घिरी हुई है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 6 September 2025, 3:06 PM IST
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New Delhi: दुनिया का सबसे प्रसिद्ध हीरा कोहिनूर जो कई सदियों से अपनी अद्वितीयता और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है, अब एक नए हीरे से जुड़ी कथाओं में घिरा हुआ है। यह हीरा दरिया-ए-नूर कहलाता है और इसे कोहिनूर का "बहन" कहा जाता है। इस दोनों हीरों के बीच इतिहास, मिथक और रहस्य की गहरी कहानी छुपी हुई है। जिनमें विश्वासघात, षड्यंत्र और ऐतिहासिक युद्धों के साये हैं। इन दोनों हीरों के स्वामित्व को लेकर कई देशों के बीच लड़ाइयाँ लड़ी गई हैं और हर क़दम पर एक नया मोड़ सामने आता है।

आपको बता दें कि कुछ महीनों पहले भारत में बांग्लादेशी नागरिकों का जमकर विरोध हुआ था। केंद्र सरकार ने बांग्लादेशी नागरिकों को चुन-चुनकर वापस भेजा था। गृह मंत्रालय की तरफ से इसका आदेश देश की सुरक्षा को देखते हुए जारी किया गया था।

दरिया-ए-नूर की उत्पत्ति

कोहिनूर की तरह दरिया-ए-नूर भी भारत के उन खदानों से आया था। जिनसे कोहिनूर को भी निकाला गया था। यह एक 26 कैरेट का हीरा है, जो आकार में आयताकार मेज के जैसा दिखता है। इसे एक सोने के बाजूबंद में जड़ा गया था, जिसमें करीब 10 छोटे हीरे लगे हुए हैं। यह हीरा भारतीय इतिहास की एक महाकाव्य गाथा से जुड़ा है और इसे महाराजा रणजीत सिंह द्वारा पहना गया था। वे दोनों हीरों को एक साथ पहनते थे, इसीलिए दरिया-ए-नूर को कोहिनूर की बहन कहा जाता है।

कहां है कोहिनूर की बहन?

दरिया-ए-नूर का सफर

दरिया-ए-नूर की यात्रा बेहद दिलचस्प रही है। यह हीरा कई हाथों से गुज़रा और इस दौरान कई राजाओं और साम्राज्य ने इसे अपनी संपत्ति माना। अंततः यह हीरा ब्रिटिश शासन के अधीन आया। जब पंजाब के अंतिम राजा दिलीप सिंह ने इसे रानी विक्टोरिया के पास भेज दिया था। बाद में, 1852 में इसे ख्वाजा अलीमुल्लाह द्वारा एक नीलामी में खरीदा गया था, और फिर यह विभिन्न बैंकों के माध्यम से बांग्लादेश के सोनाली बैंक तक पहुँच गया।

बांग्लादेश में दरिया-ए-नूर की स्थिति

दरिया-ए-नूर का असली स्थान आज भी एक रहस्य बना हुआ है। सोनाली बैंक में इसकी तिजोरी बंद होने की बात कही जाती है, लेकिन इसकी तस्वीर कभी भी सामने नहीं आई। लगभग छह साल पहले, इसकी चोरी होने की खबर आई थी। जिसके बाद बांग्लादेश सरकार ने इसकी स्थिति जानने के लिए जांच शुरू की थी। हालांकि, बांग्लादेश के अधिकारियों के अनुसार, इस समय यह हीरा सोनाली बैंक की तिजोरी में सुरक्षित रखा गया है और इसे सार्वजनिक रूप से कभी नहीं दिखाया गया।

दरिया-ए-नूर का ऐतिहासिक संदर्भ

दरिया-ए-नूर का इतिहास बेहद विवादित है। कुछ लोग इसे आज भी दुनिया के सबसे बड़े हीरों में से एक मानते हैं, जबकि कुछ अन्य इसे दूसरे हीरों से भी जोड़ते हैं। उदाहरण के लिए, ईरान में भी एक दरिया-ए-नूर नामक 182 कैरेट का हीरा है। जो उसी नाम से प्रसिद्ध है। कोहिनूर और दरिया-ए-नूर का ऐतिहासिक संदर्भ इतना गहरा है कि हर एक दावे के साथ एक नई कहानी जुड़ी हुई है। इस हीरे की सबसे पहली तस्वीर हंगेरियन चित्रकार ऑगस्ट शेफ़्ट द्वारा 1841 में बनाई गई थी। जिसमें यह हीरा महाराजा रणजीत सिंह के बेटे के हाथ में था।

कहां है कोहिनूर की बहन?

दरिया-ए-नूर की खोई हुई तस्वीरें

दरिया-ए-नूर का आज तक कोई भी स्पष्ट चित्र सामने नहीं आया। 1951 में एक इलस्ट्रेशन लंदन न्यूज में प्रकाशित हुआ था, लेकिन वह भी केवल रेखाचित्र था। 1763 में एक और मेज के आकार का हीरा नादिर शाह के नाम से प्रसिद्ध था और इसके चित्र भी एक डच पत्रिका में छपे थे। लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वह चित्र दरिया-ए-नूर का था या नहीं।

बांग्लादेश में हीरे की सुरक्षा

यह हीरा बांग्लादेश में लंबे समय से सोनाली बैंक की तिजोरी में रखा हुआ है। हालांकि, सुरक्षा कारणों से इसे कभी प्रदर्शनी में नहीं रखा गया। 1985 में इस तिजोरी को आखिरी बार खोला गया था, लेकिन उस समय भी कोई तस्वीर या ठोस प्रमाण नहीं मिला कि यह हीरा वाकई मौजूद है। कई दशकों से इसे सार्वजनिक रूप से न दिखाए जाने के कारण यह हीरा एक रहस्य बना हुआ है।

दरिया-ए-नूर का महत्व

दरिया-ए-नूर का मूल्य और उसकी ख्याति को लेकर कई दावे किए गए हैं। इसे कई बार कोहिनूर के बाद दुनिया का दूसरा सबसे कीमती हीरा बताया गया है। कुछ ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, यह हीरा अत्यधिक शुद्धता वाला था और इसके साथ जुड़े मोती और छोटे हीरे इसे और भी मूल्यवान बनाते हैं।

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