

करवा चौथ 2025 का व्रत 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह पर्व न केवल पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाता है, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते को गहराने और वैवाहिक जीवन में प्रेम, सौहार्द और सकारात्मक ऊर्जा लाने का भी माध्यम बनता है।
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New Delhi: इस वर्ष करवा चौथ का पावन पर्व 10 अक्टूबर 2025 शुक्रवार को पूरे देशभर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत का पारण करती हैं।
सोलह श्रृंगार का महत्व
करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है। यह श्रृंगार केवल सौंदर्य के लिए नहीं, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सोलह श्रृंगार कर मां पार्वती और मां लक्ष्मी की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, समर्पण और समझदारी बढ़ती है। यह श्रृंगार स्त्री की ऊर्जा को जाग्रत करता है और दांपत्य जीवन को सकारात्मक दिशा देता है।
लाल रंग की साड़ी पहनना क्यों शुभ है?
लाल रंग को हिंदू धर्म में शुभता, प्रेम और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। करवा चौथ के दिन लाल रंग की साड़ी या वस्त्र पहनना परंपरा का हिस्सा है, लेकिन यह भी माना जाता है कि यह रंग पति-पत्नी के रिश्तों में प्रेम और विश्वास को बनाए रखने में सहायक होता है। लाल रंग अखंड सौभाग्य का भी प्रतीक है।
भगवान गणेश की पूजा
यदि वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की तकरार या मतभेद चल रहा हो, तो करवा चौथ के दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा के दौरान एक दीपक जलाएं और उसमें हल्दी डालें। गणेश जी की आरती करें और मन में अपने वैवाहिक संबंधों को सुधारने की प्रार्थना करें। भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं और उनके आशीर्वाद से रिश्तों में मधुरता आती है।
चंद्रमा को अर्घ्य देना
रात्रि में चंद्र दर्शन कर अर्घ्य देने की परंपरा करवा चौथ की सबसे मुख्य पूजा मानी जाती है। चंद्रमा को शांति और मानसिक संतुलन का प्रतीक माना जाता है। एक साफ बर्तन में जल, चावल, दूध की कुछ बूंदें मिलाएं और चंद्रमा को अर्घ्य दें। इस समय “ॐ नम: शिवाय” मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह उपाय वैवाहिक जीवन में स्थिरता और भावनात्मक संतुलन लाता है।
करवा चौथ पर ध्यान और मंत्र जाप
उपवास के दौरान ध्यान और मंत्र जाप, विशेषकर "ॐ नम: शिवाय", "ॐ लक्ष्मी माता नमः" या "ॐ पार्वत्यै नमः" जैसे मंत्रों का जाप करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। इससे पति-पत्नी के बीच भावनात्मक जुड़ाव और समझ मजबूत होती है।