

जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। वह कार्यकाल पूरा न करने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए हैं। जगदीप धनखड़ ने 2022 में भारी मतों से जीत हासिल की थी। उनके राजनीतिक और व्यक्तिगत सफर ने देश को प्रेरित किया।
जगदीप धनखड़ (सोर्स-गूगल)
New Delhi: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया, जिसने पूरे देश को हैरानी में डाल दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे पत्र में खराब स्वास्थ्य और चिकित्सकीय सलाह का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत यह कदम उठाया।
अपने भावुक पत्र में धनखड़ ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति आभार जताया, साथ ही कहा कि उपराष्ट्रपति के रूप में मिला सम्मान और स्नेह उनके दिल में हमेशा संजोया रहेगा।
कार्यकाल पूरा न करने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति
6 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बनने वाले जगदीप धनखड़ अब अपना कार्यकाल पूरा न करने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए हैं। उनसे पहले कृष्णकांत का कार्यकाल 2002 में उनके निधन के कारण अधूरा रह गया था। जबकि वी.वी. गिरि ने 1969 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया था। जगदीप धनखड़ ने 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को भारी मतों से हराया था। उन्हें 725 में से 528 वोट मिले थे।
रोचक रहा राजनीतिक सफर
जगदीप धनखड़ का जीवन प्रेरणादायक रहा है। 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे धनखड़ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल से प्राप्त की। स्कॉलरशिप पर चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में पढ़े और नेशनल डिफेंस अकादमी में चयन होने के बावजूद कानून की पढ़ाई को चुना। जयपुर के महाराजा कॉलेज से बीएससी (ऑनर्स) और राजस्थान यूनिवर्सिटी से एलएलबी पूरी करने के बाद, उन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट में वकालत शुरू की और जल्द ही प्रमुख वकीलों में शुमार हो गए।
चौधरी देवीलाल से हुए प्रेरित
उनका राजनीतिक सफर भी कम रोचक नहीं है। चौधरी देवीलाल से प्रेरित होकर उन्होंने 1989 में जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा चुनाव जीता और वी.पी. सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हुए और 1993 में किशनगढ़ से विधायक चुने गए। 2003 में बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने विभिन्न भूमिकाओं में सक्रियता दिखाई। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल अनुशासन और सख्त रुख के लिए जाना गया।
बता दें कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को देर शाम अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया, जिसने पूरे देश को हैरानी में डाल दिया है।