Jagdeep Dhankhar Resigns: कब होगा उपराष्ट्रपति का चुनाव, जानिए क्या है Article 68 का प्रावधान

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा अचानक अपने पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। चूंकि उपराष्ट्रपति देश के दूसरे सबसे ऊंचे संवैधानिक पद पर होते हैं और राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं, ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि अब आगे क्या होगा?

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 22 July 2025, 10:17 AM IST
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New Delhi: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा अचानक अपने पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। चूंकि उपराष्ट्रपति देश के दूसरे सबसे ऊंचे संवैधानिक पद पर होते हैं और राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं, ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि अब आगे क्या होगा? क्या कोई संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है, या हमारे संविधान में इस स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं?

संवैधानिक स्थिति क्या कहती है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68(2) के तहत, यदि उपराष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्यागपत्र, पदच्युत किए जाने या किसी अन्य कारण से रिक्त हो जाता है, तो "यथाशीघ्र" चुनाव कराना आवश्यक है। इसका अर्थ यह है कि नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति के लिए विलंब नहीं किया जा सकता। जो भी व्यक्ति इस पद पर निर्वाचित होगा, वह अपनी नियुक्ति की तिथि से आगामी पांच वर्षों तक इस पद पर बने रहने का हकदार होगा।

हालांकि, संविधान में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यदि उपराष्ट्रपति कार्यकाल के बीच में इस्तीफा दे देते हैं या अस्थायी रूप से राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं, तो इस दौरान राज्यसभा का सभापति कौन होगा। यही कारण है कि इस रिक्ति के दौरान संवैधानिक प्रावधानों और संसदीय परंपराओं का संयोजन महत्वपूर्ण हो जाता है।

क्या होगी राज्यसभा की स्थिति?

जब तक नया उपराष्ट्रपति नियुक्त नहीं होता, तब तक राज्यसभा का संचालन उपसभापति द्वारा किया जाएगा। यह व्यवस्था संविधान में निहित उस स्थायित्व की भावना को दर्शाती है, जो भारत की संसदीय प्रणाली को सुचारु रूप से संचालित करने में सहायक होती है।

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के जानकार विराग गुप्ता ने स्पष्ट किया कि उपराष्ट्रपति का इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत स्वीकार किया गया है, जो उपराष्ट्रपति को स्वेच्छा से इस्तीफा देने की अनुमति देता है। चूंकि इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपा गया और स्वीकार भी कर लिया गया है, इसलिए अब यह पूरी तरह से प्रभावी हो चुका है।

चुनाव की प्रक्रिया और विधायी कार्य पर असर

संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है, और यह प्रक्रिया आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (single transferable vote system) से पूरी की जाती है। चुनाव आयोग को अब तय करना होगा कि यह चुनाव कब और कैसे संपन्न कराए जाएं ताकि रिक्त पद को भरा जा सके। जब तक नया उपराष्ट्रपति चुना नहीं जाता, तब तक राज्यसभा में उपसभापति विधायी कार्यों का संचालन करेंगे। इसका अर्थ यह है कि संसद की कार्यवाही पर कोई व्यवधान नहीं पड़ेगा।

पहले भी हुए हैं इस्तीफे

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी उपराष्ट्रपति ने कार्यकाल पूरा होने से पहले पद छोड़ा हो। पूर्व में भी कुछ उपराष्ट्रपति अलग-अलग कारणों से पद से इस्तीफा दे चुके हैं। लेकिन प्रत्येक बार, भारत की संवैधानिक और संसदीय प्रणाली ने बिना किसी संकट के इस संक्रमण को संभाला है। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने एक बार फिर यह साबित किया है कि भारत का संवैधानिक ढांचा मजबूत और लचीला है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि शीर्ष पदों पर बदलाव होने के बावजूद संसदीय कार्य और विधायी प्रक्रिया बाधित नहीं होती। अब सभी की नजरें चुनाव आयोग पर टिकी हैं, जो नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीखों की घोषणा करेगा। जब तक नया उपराष्ट्रपति नहीं चुना जाता, तब तक राज्यसभा का संचालन उपसभापति के जिम्मे रहेगा यह व्यवस्था इस बात का प्रमाण है कि भारत की लोकतांत्रिक संस्थाएं बदलाव के बीच भी निरंतरता बनाए रख सकती हैं। 

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 22 July 2025, 10:17 AM IST