

भारत सरकार जल्द ही 114 राफेल जेट्स खरीदने के लिए एक बड़ा सौदा करने वाली है। इसमें स्वदेशी तकनीकी योगदान के साथ, वायुसेना और नौसेना की ताकत को बढ़ावा मिलेगा। यह सौदा 2 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
New Delhi: भारत जल्द ही रक्षा क्षेत्र से जुड़ा एक बड़ा सौदा करने वाला है, जिससे भारतीय वायुसेना और नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ने की उम्मीद है। आगामी कुछ हफ्तों में रक्षा मंत्रालय द्वारा एक महत्वपूर्ण समझौता किया जाएगा, जिसमें 114 राफेल जेट्स, 6 अतिरिक्त P-8I विमान और 113 F-404 इंजन शामिल होंगे। इस सौदे के जरिए भारतीय वायुसेना को मजबूती मिलेगी, खासकर MiG-21 स्क्वाड्रनों के रिटायरमेंट के बाद, जब वायुसेना के पास 29 स्क्वाड्रन रह जाएंगे, जबकि जरूरत 42 स्क्वाड्रनों की है।
भारत के लिए यह सौदा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि MiG-21 जेट्स 1963 से वायुसेना के पास हैं और अब वे पुराने हो चुके हैं। इस सौदे के साथ राफेल विमानों की संख्या भारत में बढ़ जाएगी, जिससे भारतीय सेना की शक्ति में इजाफा होगा। फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम करेगी और इसमें 60 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशी सामान का उपयोग किया जाएगा।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
इस सौदे के तहत मिलने वाले राफेल जेट्स को एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों से लैस किया जाएगा, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य कदम साबित होगा। राफेल का इस्तेमाल पहले भी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किया जा चुका है, जब इसने चीनी PL-15 मिसाइलों को धूल चटा दी थी। इन नई जेट्स से भारतीय वायुसेना की ताकत में और भी इजाफा होगा और देश की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।
इस रक्षा सौदे का महत्व सिर्फ वायुसेना ही नहीं, बल्कि भारतीय नौसेना के लिए भी है, क्योंकि इसमें नौसेना के लिए 36 राफेल जेट्स का ऑर्डर भी शामिल है। इससे भारतीय समुद्री सुरक्षा को और मजबूती मिलेगी। भारत ने पहले ही Su-30 MKIs और LCA मार्क 1A जेट्स के लिए ऑर्डर दिए हैं, और 2035 तक पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी फाइटर जेट्स की भी उम्मीद है।
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यह सौदा भारत को एक मजबूत सैन्य शक्ति बनाने की दिशा में एक और कदम साबित होगा, जिससे देश की सुरक्षा को और बढ़ावा मिलेगा।