DME में ‘फ्यूचर ऑफ लर्निंग: एआई एंड रियल वर्ल्ड एक्सपीरियंस’ पर कॉन्क्लेव, जानिये AI के फ्यूचर पर क्या बोले विशेषज्ञ

दिल्ली मेट्रोपॉलिटन एजुकेशन (DME) के आउटरिच सेल द्वारा आयोजित मल्टीडायमेंशनल लीडरशिप कॉन्क्लेव में शिक्षा में एआई के भविष्य पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ। पैनल में विभिन्न प्रतिष्ठित स्कूलों की प्रधानाचार्याओं और शिक्षा विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 20 September 2025, 1:32 PM IST
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New Delhi: दिल्ली मेट्रोपॉलिटन एजुकेशन (DME) के आउटरिच सेल ने एक महत्वपूर्ण आयोजन करते हुए 19 सितंबर को मल्टीडायमेंशनल लीडरशिप कॉन्क्लेव (MDLC) का आयोजन किया। इसका विषय "फ्यूचर ऑफ लर्निंग: एआई और रियल वर्ल्ड एक्सपीरियंस" रहा। इस आयोजन ने शिक्षा जगत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव और उसके व्यावहारिक पहलुओं पर गहन संवाद का मंच प्रदान किया।

शिक्षा जगत की प्रमुख हस्तियां रहीं मौजूद

इस पैनल चर्चा में शिक्षा जगत की प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया, जिसमें ऋचा शर्मा अग्रिहोत्री (संस्कृति स्कूल), नंदिनी शेखर (DPS HRIT), दिम्पल पुरी (विश्व भारती पब्लिक स्कूल, गाज़ियाबाद), सुषमा पुनिया (BLS इंटरनेशनल, ग्रेटर नोएडा) और सौरभ सेहगल (सैफायर इंटरनेशनल, नोएडा और क्रॉसिंग रिपब्लिक) शामिल रहे।

पैनल चर्चा का संचालन प्रोफेसर (डॉ.) शालिनी गौतम और अंजली बोस ने किया, जिन्होंने विचारों को संतुलित ढंग से प्रस्तुत कराने में अहम भूमिका निभाई।

Discussion on the future of AI in education

शिक्षा में एआई के भविष्य पर हुई चर्चा

शिक्षा क्षेत्र में एआई के भविष्य पर चर्चा

मल्टीडायमेंशनल लीडरशिप कॉन्क्लेव में DPS HRIT की नंदिनी शेखर ने कहा कि तकनीक कितनी भी उन्नत क्यों न हो, "मानवीय स्पर्श" की जगह कोई नहीं ले सकता। एक शिक्षक की संवेदनशीलता और छात्र से जुड़ाव शिक्षा की आत्मा है।

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वहीं संस्कृति स्कूल की ऋचा शर्मा ने एआई के पूर्वाग्रहों (biases) पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तकनीक का उपयोग करते समय अपनी आलोचनात्मक सोच को प्राथमिकता देनी चाहिए।

विश्व भारती पब्लिक स्कूल की दिम्पल पुरी ने छात्रों के डेटा की सुरक्षा और साइबर सुरक्षा को आज की शिक्षा का अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू बताया। उन्होंने कहा कि जब हम तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, तो उसके साथ जिम्मेदारी भी आती है।

Saurabh Sehgal shares his thoughts on AI

AI पर अपने विचार साझा करते हुए सौरभ सेहगल

BLS,ग्रेटर नोएडा की सुषमा पुनिया ने कहा कि एआई को अपनाने के लिए शिक्षकों और अभिभावकों की मानसिकता में बदलाव जरूरी है। जब तक समाज में इसके प्रति समझ और स्वीकार्यता नहीं होगी, तकनीक का सही उपयोग नहीं हो सकेगा।

जबकि सैफायर इंटरनेशनल, नोएडा और क्रॉसिंग रिपब्लिक सौरभ सेहगल ने इस विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि एआई और शिक्षक मिलकर छात्रों के विकास का मूल्यांकन बेहतर ढंग से कर सकते हैं। यह साझेदारी शिक्षा में संतुलन ला सकती है।

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क्या रहा चर्चा का निष्कर्ष?

पैनल की चर्चाओं से यह निष्कर्ष निकला कि आने वाले वर्षों में शिक्षा केवल शिक्षक या तकनीक के बीच चयन का विषय नहीं रह जाएगी, बल्कि यह AI और मानवीय संवेदनाओं के सामंजस्य से परिभाषित होगी। "सीखने का भविष्य", अब एकतरफा नहीं, बल्कि सहभागी और संवर्धित अनुभव की ओर बढ़ रहा है, जहां शिक्षक, छात्र और तकनीक एक साझा मंच पर मिलकर शिक्षा को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।

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