Kanwar Yatra 2025: गाय को ‘राष्ट्रीय माता’ का दर्जा दिलाने की मांग, हरिद्वार से लाया 121 लीटर गंगाजल की कांवड़

दिल्ली के एक युवक ने गौ माता को ‘राष्ट्रीय माता’ का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर हरिद्वार से 121 लीटर गंगाजल की कांवड़ लेकर 35 दिनों में यात्रा पूरी की है। आखिर उसने ऐसा क्यों किया, पढ़िए यह खास खबर

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 10 July 2025, 12:50 PM IST
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New Delhi: देश में कांवड़ यात्रा भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक मानी जाती है, लेकिन इस बार दिल्ली के नरेला निवासी राहुल कुमार ने इसे एक सामाजिक और सांस्कृतिक जागरूकता का माध्यम बना दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, राहुल ने गौ माता को 'राष्ट्रीय माता' का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर हरिद्वार से 121 लीटर गंगाजल की कांवड़ लेकर 35 दिनों में यात्रा पूरी की है। उनकी यह अनूठी यात्रा न केवल शिवभक्ति का उदाहरण है, बल्कि गौ संरक्षण और संवर्धन के प्रति समर्पण की मिसाल भी बन गई है।

गौ माता के लिए समर्पित यह कठिन तपस्या

राहुल कुमार ने बताया कि उन्होंने यह यात्रा गौ माता के सम्मान और उनके संवैधानिक दर्जे के समर्थन में शुरू की थी। उनका मानना है कि जिस प्रकार राष्ट्रीय पक्षी मोर और राष्ट्रीय पशु बाघ को संविधानिक मान्यता मिली है। उसी प्रकार गौ माता को भी ‘राष्ट्रीय माता’ का दर्जा मिलना चाहिए। राहुल ने कहा, "गाय भारतीय संस्कृति की आत्मा है। वह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से पूजनीय है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संतुलन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।"

35 दिनों तक पैदल यात्रा, 121 लीटर गंगाजल का संकल्प

राहुल ने हरिद्वार से नरेला तक की लंबी पदयात्रा पूरी की। वह 35 दिन तक पैदल चलते रहे और अपने कंधे पर 121 लीटर गंगाजल लेकर चले, जो अपने आप में शारीरिक और मानसिक तपस्या का उदाहरण है। यात्रा के दौरान वह कई गांवों और कस्बों से होकर गुजरे, जहां उन्होंने लोगों को गौ संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक किया।

सोशल मीडिया की अफवाहों को किया खारिज

हाल ही में सोशल मीडिया पर राहुल की यात्रा को लेकर कुछ ग़लत अफवाहें फैली थीं, जिनमें यह दावा किया जा रहा था कि उन्होंने यह कांवड़ यात्रा किसी प्रेमिका को पाने या व्यक्तिगत कारणों से की है। इन अफवाहों को राहुल ने स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए कहा, "यह यात्रा केवल गौ माता के लिए की गई है, इसका किसी भी तरह के निजी या प्रेम संबंध से कोई लेना-देना नहीं है। यह मेरी आस्था और संकल्प का विषय है।"

कांवड़ मार्ग बना विविध भावनाओं का संगम

इस वर्ष कांवड़ यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक रही, बल्कि इसमें देशप्रेम, सामाजिक चेतना और व्यक्तिगत संकल्पों की झलक भी देखने को मिली।
बड़ौत-मुज़फ्फरनगर कांवड़ मार्ग पर जहां शिवभक्ति के जयकारे गूंज रहे हैं, वहीं कुछ कांवड़िए देश की सुरक्षा, हिंदुत्व की रक्षा और रोजगार की कामनाओं के साथ जल लेकर चल रहे हैं। राहुल की तरह ही कई श्रद्धालु अपनी व्यक्तिगत या सामाजिक भावना के साथ कांवड़ ला रहे हैं, जिससे यह यात्रा एक सामाजिक आंदोलन का रूप भी लेती जा रही है।

‘बम-बम भोले’ के नारों से गूंज उठा माहौल

पूरे मार्ग पर "बम-बम भोले" के जयकारे, ढोल-नगाड़े, शिव भजनों और झांकियों से माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया है। श्रद्धालुओं की आस्था और ऊर्जा ने यात्रा को एक उत्सव का रूप दे दिया है।

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