उत्तराखंड के जंगलों को बचाने वाले चंदन सिंह नयाल की कहानी बनी मिसाल

उत्तराखंड के चंदन सिंह नयाल ने पिछले 12 वर्षों में 68 हजार से अधिक पौधारोपण किए और जल संरक्षण के कई कदम उठाए उनका समर्पण और प्रयास हर घर में प्रेरणा का स्रोत है

Nainital: नैनीताल जिले के ओखलकाड़ा ब्लॉक के ग्राम नाई से ताल्लुक रखने वाले चंदन सिंह नयाल पिछले बारह सालों से अपने गाँव और आसपास के जंगलों में पर्यावरण संरक्षण का काम कर रहे हैं। बचपन में उन्होंने देखा कि आसपास के जंगलों में आग लगने से चौड़ी पत्ती वाले पौधे जल जाते थे। यह नजारा देखकर उन्होंने ठान लिया कि वह अपने आसपास के जंगलों को बचाएंगे और नई पौधरोपण की पहल करेंगे। धीरे-धीरे यह काम उनके जीवन का उद्देश्य बन गया।

चंदन ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान अपनी माताजी का देहांत देखा। उस समय उन्होंने ठान लिया कि जिसने उन्हें जीवन दिया, उनके लिए वह कुछ करेंगे। इसी सोच ने उनके अंदर जंगलों और प्रकृति के प्रति गहरा प्रेम पैदा किया। बिना किसी एनजीओ या सरकारी मदद के उन्होंने गाँव के लोगों के साथ मिलकर लगातार पौधारोपण, जल संरक्षण और जंगलों की सुरक्षा के काम शुरू किए। आज तक उनके प्रयासों से 68 हज़ार से ज्यादा पौधे रोपे गए हैं और 60 हज़ार से अधिक पौधे ग्रामीणों को वितरित किए गए हैं।

जल संरक्षण के लिए उन्होंने 6 हज़ार से अधिक चाल, खाल, खंतिया और पोखर बनाए हैं। इन प्रयासों से ग्रामीण धाराओं का जल स्तर बढ़ा और जंगलों की स्थिति में सुधार आया। छह से सात हेक्टेयर में उन्होंने मिश्रित वन तैयार किए हैं जिसमें फलदार पौधे भी शामिल हैं। उन्होंने 200 से अधिक विद्यालयों में पर्यावरण जागरूकता अभियान चलाए और पांच बड़ी कार्यशालाओं का आयोजन किया। महिलाओं और युवाओं के सहयोग से जंगलों में आग से सुरक्षा और सफाई अभियान भी लगातार चलाए जा रहे हैं।

चंदन ने अपनी स्वयं की नर्सरी भी तैयार की है, जहां पौधों को तैयार करके जंगलों में लगाया जाता है और अन्य लोगों को वितरित किया जाता है। इसके अलावा, उन्होंने नदियों की सफाई अभियान चलाकर पानी के संरक्षण में योगदान दिया। 2017 में उन्होंने अपने शरीर को दान करने का निर्णय लिया ताकि उनके मरने के बाद कोई पेड़ न कटे।

उनके कार्यों को 2021 में भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा वाटर हीरो पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्विटर अकाउंट पर उनके प्रयासों को साझा किया गया। उत्तराखंड सरकार ने उन्हें एसडीजी एचीवर सम्मान और सुंदरलाल बहुगुणा स्मृति सम्मान से नवाजा। इसके अलावा 200 से अधिक संस्थाओं ने उनके योगदान को मान्यता दी।

चंदन का मानना है कि यह उपलब्धि केवल उनकी नहीं है बल्कि पूरे नैनीताल और मिलते-जुलते समुदायों के लिए प्रेरणा है जिन्होंने उनके काम को समर्थन और विस्तार दिया। उनके प्रयास आज भी जंगलों, जल स्रोतों और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में लोगों के लिए मिसाल बने हुए हैं।

 

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