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उत्तराखंड सरकार समान नागरिक संहिता के तहत लिव-इन नियमों में ढील देने की तैयारी में है। निजता के अधिकार को ध्यान में रखते हुए तलाकशुदा, जन्म या आधार कार्ड जैसी अनिवार्य सूचनाओं में छूट दी जा सकती है। यहां पढ़ें पूरी खबर
समान नागरिक संहिता के तहत लिव-इन में राहत (सोर्स- गूगल)
Dehradun: उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के तहत लिव-इन में रहने वाले जोड़ों की जानकारी और नियमों में ढील देने की योजना बना रही है। इसके लिए गृह विभाग ने उच्च न्यायालय में शपथ पत्र भी जमा किया है। इससे विवाह पंजीकरण की नियमावली में संशोधन संभव हो सकेगा। सरकार का लक्ष्य यह है कि नए नियमों से नागरिकों के निजता अधिकारों का उल्लंघन न हो।
प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद विवाह पंजीकरण और लिव-इन में रहने के पंजीकरण की व्यवस्था शुरू हो गई थी। हालांकि, कुछ व्यक्तियों ने अदालत में शिकायत की थी कि वर्तमान नियम निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं। इन शिकायतों को देखते हुए सरकार ने अदालत में शपथ पत्र देकर नियमों में शिथिलता देने की बात कही है।
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स्रोतों के अनुसार, नियमावली में निम्नलिखित बदलाव किए जा सकते हैं:
1. लिव-इन में रहने वाले जोड़े को पहले तलाकशुदा होने या पहले लिव-इन में रहने की सूचना देने से छूट दी जा सकती है।
2. लिव-इन संबंध समाप्त होने के बाद गर्भवती होने या जन्म की सूचना देने की अनिवार्यता खत्म की जा सकती है।
समान नागरिक संहिता (सोर्स- गूगल)
3. लिव-इन संबंधों की जांच की व्यवस्था हटाई जा सकती है।
4. बालिग व्यक्तियों के लिव-इन में प्रवेश पर उनके अभिभावकों को सूचना देने के नियम में बदलाव संभव है।
5. आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर छूट दी जा सकती है।
उत्तराखंड के सचिव गृह, शैलेश बगौली ने बताया कि सरकार प्रयास कर रही है कि मौजूदा नियमों से नागरिकों के निजता अधिकार का टकराव न हो। इसी आधार पर नियमावली में बदलाव करने की तैयारी चल रही है।
उन्होंने कहा कि नए नियमों में लचीलापन प्रदान करने का उद्देश्य लोगों की व्यक्तिगत जानकारी और निजी जीवन में हस्तक्षेप को कम करना है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि लिव-इन संबंधों से जुड़े कानूनी अधिकार और सुरक्षा बनी रहे।
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विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह बदलाव लागू हो जाते हैं, तो उत्तराखंड में लिव-इन संबंधों की पंजीकरण प्रक्रिया सरल और नागरिक-मित्रवत हो जाएगी। इससे शादी से पहले या तलाकशुदा व्यक्ति के लिए लिव-इन में प्रवेश करना आसान हो जाएगा।
वहीं, सामाजिक संगठन भी इस कदम का स्वागत कर रहे हैं क्योंकि इससे युवा जोड़ों की निजता बनी रहेगी और सरकारी प्रक्रियाओं में कम बाधा होगी।