

UCC में बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। नए प्रस्ताव शपथपत्र और प्रक्रिया में अहम बदलाव ला सकते हैं। आवेदन, अपील अवधि और दस्तावेज़ नियमों में बदलाव की संभावना है। पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें और अपडेट रहें।
लिव-इन पंजीकरण प्रक्रिया में नए सुधार
Dehradun: उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण और समाप्ति प्रक्रिया में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है। राज्य सरकार ने इस संदर्भ में हाई कोर्ट में एक शपथपत्र दाखिल किया है, जिसमें संशोधनों के प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख किया गया है।
महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर की ओर से 78 पेज का शपथपत्र पेश किया गया है, जिसमें कहा गया है कि लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण और अस्वीकृति आदेश के लिए अपील की अवधि को 30 दिन से बढ़ाकर 45 दिन किया जा सकता है। इसके अलावा, लिव-इन रिलेशनशिप के मामले में रजिस्ट्रार की शक्ति में भी बदलाव किए गए हैं।
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अब यदि रजिस्ट्रार को लगता है कि पंजीकरण के लिए आवेदन करने वालों की रीति-रिवाज या प्रथा विवाह के खिलाफ हैं, तो वह लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकरण से इनकार कर सकता है, खासतौर पर अगर यह संहिता की धारा 380 का उल्लंघन करता है।
समान नागरिक संहिता (सोर्स- गूगल)
संशोधन के तहत, लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण और समाप्ति प्रक्रिया को स्पष्ट और पारदर्शी बनाने पर जोर दिया गया है। रजिस्ट्रार को अब केवल रिकॉर्ड रखने के उद्देश्य से स्थानीय पुलिस के साथ जानकारी साझा करने का अधिकार होगा।
इसके अलावा, लिव-इन रिलेशनशिप की समाप्ति के बाद की जानकारी भी स्थानीय पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी के साथ साझा की जाएगी। यह कदम लिव-इन रिलेशनशिप के समाप्त होने की सही जानकारी सुनिश्चित करने के लिए है।
इस शपथपत्र में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव यह है कि लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण में आधार कार्ड के उपयोग को वैकल्पिक किया जाएगा। अब आवेदक अन्य वैकल्पिक पहचान दस्तावेजों का उपयोग कर सकते हैं, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो प्राथमिक आवेदक नहीं हैं। यह संशोधन पंजीकरण प्रक्रिया में लचीलापन लाने के उद्देश्य से किया गया है, जिससे अधिक लोग इसका लाभ उठा सकेंगे।
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संशोधनों के तहत यह भी प्रस्ताव किया गया है कि रजिस्ट्रार स्थानीय पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी और जिला पुलिस अधीक्षक को यह जिम्मेदारी देंगे कि वे लिव-इन आवेदकों से संबंधित जानकारी की गोपनीयता सुनिश्चित करें। यह कदम लोगों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को लेकर उठाया गया है, ताकि किसी भी प्रकार का उल्लंघन न हो।