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नैनीताल की पहाड़ियों में स्थित कैंची धाम ऐसा आध्यात्मिक स्थान है, जहाँ पहुँचते ही मन हल्का महसूस होने लगता है। नीम करौरी बाबा के इस प्रसिद्ध आश्रम ने दुनियाभर के लोगों को आकर्षित किया है। यहाँ तक पहुंचने का तरीका, मौसम, खर्च और यात्रा अनुभव जानिए एक ही रिपोर्ट में।
कैंची धाम आखिर इतना खास क्यों
नैनीताल: उत्तराखंड की हरियाली से घिरी नैनीताल की पहाड़ियों के बीच स्थित कैंची धाम ऐसा स्थान है, जहाँ कदम रखते ही भीतर बेचैनी शांत होने लगती है। नीम करौरी बाबा द्वारा स्थापित यह आश्रम कई दशकों से उन लोगों का सहारा रहा है, जो जीवन की भागदौड़ से हटकर कुछ पल आत्मिक शांति के साथ बिताना चाहते हैं। साधारण सी दिखने वाली यह जगह अपने भीतर ऐसी खिंचाव भरी ऊर्जा समेटे हुए है कि यहाँ आने वाला व्यक्ति लौटते समय खुद को बदला हुआ महसूस करता है।
पिछले वर्षों में यह धाम देश-विदेश के दिग्गजों तक को आकर्षित कर चुका है। टेक दुनिया से लेकर क्रिकेट, बॉलीवुड, हॉलीवुड और संगीत जगत तक-कई बड़े नाम यहाँ आकर कुछ पल रुके, ध्यान लगाया और भीतर की उलझनों से निकलकर हल्कापन महसूस किया। यहाँ तक कि अपने-अपने क्षेत्रों में शिखर पर रहे इन लोगों ने भी माना कि कैंची धाम की यह पहाड़ी खामोशी उनके जीवन में संतुलन लाती है।
यहाँ आने वालों में स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग, जूलिया रॉबर्ट्स, विराट कोहली, अनुष्का शर्मा, मनोज बाजपेयी, सुरेश रैना, रिंकू सिंह और जुबिन नौटियाल जैसे नाम शामिल रहे हैं। ये लोग अलग-अलग समय पर कैंची धाम पहुँचे और बाबा के आश्रम में कुछ क्षण बिताकर वापस लौटे। उनकी उपस्थिति से भी यह जगह आज दुनिया के नक्शे पर एक अनोखे आध्यात्मिक केंद्र के रूप में पहचानी जाने लगी है।
कैंची धाम तक पहुंचने का अनुभव
नैनीताल शहर से करीब 17 किलोमीटर दूर यह आश्रम सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। दिल्ली से नैनीताल की दूरी लगभग 324 किलोमीटर है, जिसे तय करने में करीब 6 से 7 घंटे लगते हैं। नैनीताल से कैंची तक टैक्सी या बस बिना किसी परेशानी के मिल जाती है। हवाई मार्ग से आना चाहें तो सबसे निकट पंतनगर एयरपोर्ट है, जो लगभग 70 किलोमीटर दूर पड़ता है। वहीं ट्रेन का विकल्प चुनने वाले यात्रियों के लिए काठगोदाम स्टेशन सबसे पास है, जहाँ से आश्रम लगभग 38 किलोमीटर दूर है।
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कब जाएं यात्रा पर
कैंची धाम का मौसम साल भर अलग-अलग रंग दिखाता है। मार्च से जून और फिर सितंबर से नवंबर तक का समय इस यात्रा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इन महीनों में पहाड़ियों की हवा साफ और सुहानी रहती है। वहीं जुलाई और अगस्त में भारी बारिश के कारण पहाड़ी रास्तों में फिसलन बढ़ जाती है, इसलिए इस दौरान यात्रा कम लोग करते हैं।
खर्च और ठहरने की सुविधा
दिल्ली से नैनीताल तक बस या ट्रेन का टिकट 300 से 800 रुपये के बीच आसानी से मिल जाता है। आश्रम में रुकने के लिए साधारण कमरे उपलब्ध होते हैं, जिनका खर्च लगभग 200 रुपये प्रतिदिन तक रहता है। भोजन भी नाममात्र की राशि में मिल जाता है, जिससे यह यात्रा हर वर्ग के लोगों के लिए आरामदायक बन जाती है।
कैंची धाम में अनुभव कैसा होता है
आश्रम में कदम रखते ही एक शांत वातावरण सा महसूस होता है। सत्संग के दौरान बैठना, पुस्तकालय में रखा साहित्य पढ़ना, या फिर आसपास की पगडंडियों पर चलना—हर अनुभव भीतर एक नई रोशनी जगाता है। प्रकृति का यह मेल आध्यात्मिकता को और भी गहरा कर देता है। चाहें तो यात्राकाल में पास ही स्थित नैनीताल की झीलों और पहाड़ियों को भी देखा जा सकता है, जो इस सफर की सुंदरता को और बढ़ा देते हैं।
नीम करौरी बाबा की कथाएँ जो आज भी जीवित हैं
बाबा के जीवन से जुड़ी कई घटनाएँ आज भी श्रद्धालुओं के बीच किसी लोककथा की तरह सुनाई देती हैं। कहा जाता है कि एक बार बिना टिकट ट्रेन में यात्रा करते समय जब उन्हें नीम करौली स्टेशन पर उतारा गया, तो ट्रेन आगे बढ़ी ही नहीं। अधिकारियों द्वारा माफी मांगने के बाद ही ट्रेन चली।
एक और घटना में भंडारे के दौरान घी खत्म हो जाने पर बाबा ने पानी मंगवाया, और वही पानी प्रसाद बनाते समय घी जैसा रूप ले बैठा। कई लोग यह भी बताते हैं कि बाबा के स्पर्श से मृतप्राय व्यक्ति ने फिर से जीवन पाया।
उनकी सीख हमेशा एक ही रही-सबसे प्रेम करो और सबकी सेवा करो। शायद यही कारण है कि आज भी कैंची धाम की हवा में एक अनकही दया, अपनापन और शांति घुली हुई महसूस होती है।