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उत्तराखंड में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर्यटन विकास योजना ग्रामीण इलाकों के लिए बड़ी उम्मीद बनकर उभर रही है। होमस्टे और गांव आधारित पर्यटन गतिविधियों को मिल रहे अनुदान और सब्सिडी के कारण युवाओं में नया उत्साह देखा जा रहा है। योजना से गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत होने और पलायन रुकने की उम्मीद बढ़ी है।
पर्यटन विभाग अधिकारी अतुल भंडारी
Nainital: उत्तराखंड के दूरस्थ गांव अब सिर्फ खूबसूरत नज़ारों के लिए ही नहीं, बल्कि नए रोजगार के अवसरों के कारण भी चर्चा में हैं। राज्य सरकार की पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर्यटन विकास योजना ने पहाड़ के ग्रामीण इलाकों में आशा की नई रोशनी जगाई है। इस योजना के आने के बाद स्थानीय लोगों की उम्मीदें बढ़ी हैं, क्योंकि पहली बार गांवों में पर्यटन आधारित स्वरोजगार को इतनी बड़ी मदद मिल रही है।
योजना के तहत सरकार कुल लागत का लगभग आधा हिस्सा अनुदान के रूप में दे रही है, जबकि बैंक लोन पर अतिरिक्त सब्सिडी मिलने से छोटे परिवार भी बिना ज्यादा दबाव के अपना होमस्टे, कैफे या गांव आधारित पर्यटन गतिविधियां शुरू कर पा रहे हैं। पहाड़ के युवाओं के लिए यह बड़ा अवसर बनकर सामने आया है, क्योंकि अब रोजगार पाने के लिए शहरों या मैदानी इलाकों में भटकने की मजबूरी कम होती दिख रही है।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे पहले गांवों में पर्यटन की संभावनाएं तो थीं, लेकिन आर्थिक मदद न मिल पाने के कारण लोग आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। अब हालात बदल रहे हैं और कई गांवों में होमस्टे बनाने, ट्रेकिंग रूट विकसित करने और स्थानीय खान-पान को बढ़ावा देने की तैयारियां तेज़ हो गई हैं। लोग अपने घरों को पर्यटन के नजरिए से तैयार कर रहे हैं, ताकि आने वाले महीनों में पहाड़ का ग्रामीण जीवन और संस्कृति पर्यटकों को नए अनुभव दे सके।
पर्यटन विभाग अधिकारी अतुल भंडारी ने बताया कि योजना को लेकर लोगों में उत्साह लगातार बढ़ रहा है। विभाग की ओर से गांवों में पहुंचकर शिविर आयोजित किए जा रहे हैं, जहां पात्र लोगों को जरूरी दस्तावेज़ों और आवेदन प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी दी जा रही है। विभाग का दावा है कि आने वाले समय में यह योजना पहाड़ की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकती है।
अधिकारियों का मानना है कि जो गांव पहले पलायन की समस्या से जूझ रहे थे, वे अब पर्यटन के बड़े केंद्र बन सकते हैं। होमस्टे व ग्रामीण पर्यटन का जाल बिछने से स्थानीय संस्कृति, भोजन, परंपराएं और प्राकृतिक सौंदर्य नई पहचान हासिल करेंगे। इससे न सिर्फ रोजगार बढ़ेगा, बल्कि गांवों में पैसा भी रुकेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को स्थायी मजबूती मिलेगी।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर्यटन विकास योजना ने पहाड़ के गांवों में एक नई सोच को जन्म दिया है। लोग अब अपनी मिट्टी में रहकर, अपनी पहचान को संजोते हुए, सम्मानजनक जीवन जीने की उम्मीद कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में बढ़ते इस बदलाव ने साफ कर दिया है कि उत्तराखंड का भविष्य अब गांवों से ही चमकेगा।