Diwali 2025: कितने सुरक्षित हैं ग्रीन पटाखे? जानें कैसे होते हैं तैयार, क्या ये सच में पर्यावरण के लिए बेहतर हैं

दिल्ली सरकार ने इस दीपावली पर ग्रीन पटाखों को जलाने की अनुमति दी है। ये पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं और ध्वनि प्रदूषण भी घटाते हैं। इनका निर्माण ऐसे रसायनों से होता है जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 15 October 2025, 4:01 PM IST
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New Delhi: दीपावली का त्योहार खुशी और रोशनी का प्रतीक है, लेकिन पारंपरिक पटाखों के जलने से पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। तेज आवाज वाले पटाखे सिर्फ धुआँ और प्रदूषण फैलाते ही नहीं हैं, बल्कि हृदय रोगियों, बच्चों और पक्षियों के लिए भी खतरा पैदा करते हैं।

दिल्ली सरकार ने इस बार ग्रीन पटाखों को जलाने की अनुमति दी है, ताकि त्योहार का आनंद लेते हुए पर्यावरण को कम नुकसान पहुँच सके।

पटाखों में मिलते हैं हानिकारक रसायन

सामान्य पटाखों में कई प्रकार के रसायन और मिश्रण होते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • सल्फर
  • ऑक्सीडाइज़र
  • स्टेबलाइज़र
  • रिड्यूसिंग एजेंट
  • रंगीन तत्व जैसे एंटीमोनी सल्फाइड, बेरियम नाइट्रेट, लिथियम, तांबा, एल्यूमिनियम और स्ट्रॉन्सियम
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ग्रीन पटाखे कैसे बनते हैं?

ये रसायन जलने पर जहरीली गैसें छोड़ते हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता (Air Quality Index) तेजी से गिरती है। दीपावली के समय लाखों लोग पटाखे जलाते हैं, जिससे हवा लंबे समय तक धुएं और जहरीली गैसों से भर जाती है। ठंड और कोहरे के मौसम में यह प्रभाव और गंभीर हो जाता है।

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ध्वनि और स्वास्थ्य पर प्रभाव

तेज आवाज वाले पटाखे ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं और हृदय रोग, फेफड़ों और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। ऐसे में ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए लाभकारी साबित होता है।

ग्रीन पटाखों के फायदे

  • कम प्रदूषण: ग्रीन पटाखों में पारंपरिक हानिकारक रसायन जैसे एल्युमिनियम, बैरियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन नहीं होते।
  • ध्वनि कम: ये पटाखे आकार में छोटे और हल्के होते हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण न्यूनतम होता है।
  • पर्यावरण के लिए सुरक्षित: ग्रीन पटाखे जलाने से हवा में जहरीली गैसों का उत्सर्जन कम होता है।
  • सुरक्षा: पारंपरिक पटाखों की तुलना में इनसे आग लगने और चोट लगने का खतरा कम होता है।

हालांकि ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों से महंगे होते हैं, लेकिन पर्यावरण और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से ये बेहतर और जिम्मेदार विकल्प हैं।

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सावधानियां और सुझाव

  • ग्रीन पटाखे केवल निर्धारित स्थानों पर ही जलाएं।
  • बच्चों और बुजुर्गों को पटाखों के पास अकेले न छोड़ा जाए।
  • जलने के बाद पटाखों के अवशेष को सही तरीके से निस्तारित करें।
  • पेट्रोल या अन्य ज्वलनशील पदार्थ के पास पटाखे न जलाएं।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 15 October 2025, 4:01 PM IST