

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कल मंगलवार को वोटिंग होनी है। मतदान से ठीक पहले तेलंगाना की BRS और ओडिशा की BJD उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रह सकते हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर गहमागहमी तेज
New Delhi: उपराष्ट्रपति चुनाव ने इस समय पूरे देश और राजनीतिक दलों की ध्यान खींचा हुआ है। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिये कल मंगलवार को वोटिंग होनी है। मतदान से ठीक एक दिन पहले उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर बड़ा ट्विस्ट सामने आया है। दो प्रमुख क्षेत्रीय दलों के उपराष्ट्रपति चुनाव में भाग न लेने की संभावना है।
कल होने वाले चुनाव में मुकाबला एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी के बीच है। दोनों ही उम्मीदवार अपने-अपने खेमे में मजबूत माने जा रहे हैं।
ओडिशा की बीजू जनता दल (Biju Janata Dal) यानि बीजेडी उपराष्ट्रपति चुनाव के लिये होने वाले मतदान में गैरहाजिर रहेगी।
सूत्रों के मुताबिक तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति ( Bharat Rashtra Samithi) यानि बीआरएस उपराष्ट्रपति चुनाव के लिये होने वाले मतदान से दूरी बना सकती है।
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— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) September 8, 2025
दूसरी तरफ एक अन्य गैर-एनडीए और गैर-इंडिया ब्लॉक पार्टी, वाईएसआरसीपी (YSRCP) ने मतदान से ठीक एक दिन पहले एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। पार्टी सांसद अयोध्या रामी रेड्डी ने पत्रकारों से बात करते हुए ये बात कही।
बीजेडी और बीआरएस के सूत्रों ने कहा कि उनकी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मतदान पर अंतिम फैसला लेगा। लेकिन, पार्टी सूत्रों का मानना है कि मतदान से दूर रहना ज़्यादा उपयुक्त विकल्प होगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्यों को मिलाकर कुल 782 मतदाता है। चुनाव में 100 प्रतिशत मतदान होने और कोई मत अमान्य न होने की स्थिति में एनडीए को 411 वोट मिल सकते हैं। उच्च सदन राज्य सभा में एनडीए के सदस्यों की संख्या 106 और लोकसभा में एनडीए के सदस्यों की संख्या 293 है जबकि 12 नामित राज्यसभा सदस्य है। इस तरह कुल वोटों की संख्या 411 है।
दूसरी तरफ विपक्ष के पास 371 मत शेष बचते हैं। ऐसे में बहुमत का अंतर केवल 40 मत तक रह जाता है, जो बेहद कम मार्जिंन है।
अब बीजेडी ने मतदान में हिस्सा नहीं लेने की घोषणा की है।
चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि यदि कोई भी सदस्य क्रॉस वोटिंग या अनुपस्थिति रहता है तो वो इस चुनाव के परिणाम को प्रभावित हो सकते हैं। हार-जीत का अंतर भी बेहद कम रह सकता है।