Delhi News: सीवर में घुसे, मौत ने दबोच लिया… दिल्ली में देर रात दर्दनाक हादसा

दिल्ली के अशोक विहार में देर रात सीवर की सफाई के दौरान जहरीली गैस निकलने से एक सफाई कर्मचारी की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से बीमार हो गए। हादसा करीब रात 12 बजे हुआ। मृतक की पहचान अरविंद (40) के रूप में हुई है। पुलिस और प्रशासन जांच में जुटे हैं।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 17 September 2025, 10:07 AM IST
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New Delhi:  दिल्ली के अशोक विहार इलाके में रविवार देर रात एक दर्दनाक हादसा हो गया। सीवर की सफाई के दौरान अचानक जहरीली गैस निकलने से एक सफाई कर्मचारी की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य कर्मचारी गंभीर रूप से बीमार पड़ गए, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह घटना करीब रात 12 बजे एक अपार्टमेंट परिसर के पास हुई, जहां सफाई कर्मचारी रूटीन सीवर क्लीनिंग कर रहे थे।

हादसे में जान गंवाने वाले का नाम अरविंद (40 वर्ष)

मृतक कर्मचारी की पहचान अरविंद (उम्र 40 वर्ष) के रूप में हुई है। अरविंद सीवर की सफाई के दौरान सबसे पहले टैंक के अंदर गया, लेकिन कुछ ही मिनटों बाद वह बेहोश हो गया। जब अन्य कर्मचारी उसे बचाने के लिए सीवर के पास पहुंचे तो तीनों भी जहरीली गैस की चपेट में आ गए और उनकी हालत बिगड़ गई। आसपास के लोगों ने तुरंत पुलिस और एंबुलेंस को सूचना दी, जिसके बाद सभी को अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन अरविंद को नहीं बचाया जा सका।

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कैसे बनती है सीवर में जहरीली गैस?

सीवर की सफाई के दौरान अक्सर हाइड्रोजन सल्फाइड (H₂S), मीथेन (CH₄) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) जैसी जहरीली गैसें बनती हैं। इसका कारण है सीवर में मौजूद कार्बनिक पदार्थों का अपघटन। जब मल-मूत्र, खाद्य अपशिष्ट और अन्य जैविक सामग्री ऑक्सीजन की कमी में सड़ती है, तो यह गैसें उत्पन्न होती हैं।

हाइड्रोजन सल्फाइड सबसे खतरनाक गैसों में से एक है, जिसमें सड़े अंडे जैसी तीखी गंध होती है और यह कुछ ही सेकंड में इंसान को बेहोश कर सकती है। इसके अलावा, औद्योगिक अपशिष्ट, डिटर्जेंट, और अन्य रसायन भी आपस में प्रतिक्रिया कर अमोनिया (NH₃) और क्लोरीन यौगिक जैसी खतरनाक गैसें उत्पन्न कर सकते हैं।

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ये पहला मामला नहीं, लेकिन अब तक समाधान नहीं

यह कोई पहला मामला नहीं है जब सीवर की जहरीली गैस ने किसी सफाई कर्मचारी की जान ली हो। देशभर में समय-समय पर ऐसे दर्जनों मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन अब तक स्थायी समाधान या ठोस सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई है।

सफाई कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण, गैस डिटेक्टर, और प्रशिक्षण दिए बिना ही अक्सर खतरनाक परिस्थितियों में काम पर लगा दिया जाता है। यह घटना भी सिस्टम की लापरवाही और सुरक्षा उपायों की कमी का एक और उदाहरण बन गई है।

जिम्मेदारी तय होनी चाहिए

एक ओर सरकार स्वच्छता और स्मार्ट सिटी की बात करती है, वहीं दूसरी ओर सीवर में उतरने वाले कर्मचारियों की जिंदगी भगवान भरोसे छोड़ दी जाती है। ऐसे हादसे रोकने के लिए जरूरी है कि प्रशासन, नगर निगम और संबंधित विभागों की जवाबदेही तय की जाए।

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अशोक विहार की यह घटना एक बार फिर यह सोचने को मजबूर करती है कि आखिर क्यों सफाई कर्मचारी हर साल इसी तरह जान की बाज़ी लगाते रहते हैं। कब तक बिना सुरक्षा उपकरणों के लोग मौत का सामना करते रहेंगे? अब वक्त है कि सरकार और समाज मिलकर इस ओर गंभीरता से कदम उठाएं।

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